ज्योतिष ज्ञान में जन्म राशि से सातवाँ स्थान विवाह स्थान कहलाता है|इसे नानी का स्थान,दादाजी का स्थान भी कहते है|इसे भाग्य से लाभ का स्थान भी कहते है|इसे केन्द्र स्थान भी कहते है| इसे मित्र स्थान,सामाजिक प्रतिष्ठा का स्थान भी कहते है। इसे सम्मान या पराक्रम स्थान भी कहते है। इसे ससुर का सुख स्थान तथा सासू माँ का कर्मस्थान भी कहते है।
वृषभ जातक के विवाह स्थान की राशि वृश्चिक आती है| वृश्चिक राशि की दिशा उत्तर है इसलिये वृषभ जातक का विवाह जन्म स्थान से उत्तर दिशा में तय होता है| उनकी प्रतिष्ठा उत्तर दिशा से बढ़ती है|जलतत्व के उद्योगों से, कर्मों से उन्हे नई उँचाई मिलती है|
वृश्चिक राशि में विशाखा नक्षत्र का अंतिम चरण,सम्पूर्ण अनुराधा नक्षत्र एवं सम्पूर्ण ज्येष्ठा नक्षत्र आते है| जिनके स्वामी गुरू,शनि एवं बुध है।
वृषभ जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनभावक प्रतिष्ठा पाने के लिये वृश्चिक राशि की अमावस जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन वृश्चिक राशि को आहुति देना चाहिये तथा वृश्चिक राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन वृश्चिक राशि का अभिषेक करना चाहिये|
वृषभ जातक ने स्थायी प्रतिष्ठा पाने के लिये अपने क्षेत्र में प्राणियों के लिये पीने के पानी की व्यवस्था में अपना सहयोग देना चाहिये|
- विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से बढ़ेगी|चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है तथा माँ दो होती है। पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ। इसलिये वृषभ जातक ने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये,अपनी तथा जीवनसाथी की माँ को उनकी राशि का लॉकेट उनके जन्मदिन पर उपहार में देना चाहिये।
- अनुराधा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा अनुराधा नक्षत्र के पहले चरण में, सूर्य के सहयोग से बढ़ेगी| सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है। पिता दो होते है। पहले अपने स्वयं केपिता एवं दूसरे अपने जीवनसाथी के पिता| इसलिये वृषभ जातक ने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के पिता को उनके जन्मदिन पर उनकी राशि की अंगुठी उपहार में देवे।
- अनुराधा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है|इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा अनुगधा नक्षत्र के दूसरे चरण में, बुध के सहयोग से बढ़ेगी|बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन|इसलिये वृषभ जातक ने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का लॉकेट उपहार में देवे ।
- अनुराधा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र पहले चरण में हुआ है, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा अनुराधा नक्षत्र के तीसरे चरण में, शुक्र के सहयोग से बढ़ेगी। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है।इसलिये वृषभ जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अपने जीवनसाथी को उनके जन्मदिन पर उनकी राशि का लॉकेट एवं विवाह की वर्षगाँठ पर उनकी राशि की अंगुठी उपहार में देवे |
- अनुराधा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है|इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा अनुराधा नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से बढ़ेगी। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई। इसलिये वृषभ जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का लॉकेट उपहार में देवे |
- ज्येष्ठा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा ज्येष्ठा नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से बढ़ेगी। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के|इसलिये वृषभ जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि की पुस्तक उपहार में देवे|
- ज्येष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है,उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा ज्येष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण में, शनि के सहयोग से बढ़ेगी। शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारियों पर है। कर्मचारी दो होते है। पहले अपने स्वयं के परिवार में काम करनेवाले तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले। इसलिये वृषभ जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अपने एव जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों को उनकी राशि का पेन उपहार में देवे|
- ज्येष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है| इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा ज्येष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से बढ़ेगी। इसलिये वृषभ जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अनजान गृहस्थ को कर्मवादी बनाने में अपना सहयोग देना चाहिये,जिससे वह अपनी मेहनत के कर्मों से अपनी गृहस्थी चला सके।
- ज्येष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा ज्येष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में, गुरू के सहयोग से बढ़ेगी|इसलिये वृषभ जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि की अगरबत्ती उपहार में देना चाहिये|ध्यान रहे गुरू का नियंत्रण परिवार के बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने स्वयं के परिवार के एवं दुसरे जीवनसाथी के परिवार के
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाल
(राशिधाम)