Vrushab Rashi aur Jyotish – Aathva Sthan ( Mrutyu Sthan)

ज्योतिष ज्ञान में जन्म राशि से आठवाँ स्थान मृत्यु स्थान कहलाता है। इसे जीवनसाथी का धनस्थान,ससुराल स्थान भी कहते है। इसे कर्मों से पिता से लाभ मिलने का स्थान भी कहते है। इसे सन्‍्मान का सुख स्थान भी कहते है। इस प्रकार आठवे स्थान के हजारों नाम है।

   वृषभ जातक के आठवे स्थान की राशि धनु आती है। धनु राशि की दिशा पूर्व है। इसलिये वृषभ जातक को कड़ी मेहनत के बाद अचानक धनलाभ पूर्व दिशा से मिलेगा|वृषभ जातक ने आठवे स्थान का लाभ लेने के लिये अपने घर में दोनो समय बननेवाले भोजन का भोग अग्नि को लगाना चाहिये जिस अग्नि के सहयोग से उनका भोजन बनता है धनु राशि का तत्व अग्नि है एवं स्वभाव ट्वि स्वभाव है।

   धनु राशि में सम्पुर्ण मूल नक्षत्र, सम्पूर्ण पुर्वाषाढ़ा नक्षत्र एवं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का पहला चरण आता है,जिनके स्वामी केतू,शुक्र एवं सूर्य है।

    वृषभ जातक ने अपने कर्मों से लाभ पाने के लिए,कड़ी मेहनत का मीठा फल पाने के लिए अपनी ससुराल में राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये|जिससे वे प्रतिदिन राशिधाम की घड़ी में अपनी राशि देखकर उसे नमन कर सके तथा वे भी अपनी ससुराल में राशिधाम की घडी उपहार में दे सके |

  1.  मूल नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हे अचानक धन लाभ मूल नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहला स्वयं का भाई एवं दूसरा जीवनसाथी का भाई। वृषभ जातक ने अपने कर्मों का अचानक लाभ पाने के लिए अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का ताम्बे का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये।
  2.  मूल नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हे अचानक धनलाभ मूल नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा| शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है,इसलिए वृषभ जातक ने अचानक धनलाभ पाने के लिए अपने जीवनसाथी को उनकी राशि का लॉकेट उपहार में देना चाहिये।
  3.  मूल नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हें अचानक धनलाभ मूल नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है तथा बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन। वृषभ जातक ने अपने कर्मों से अचानक लाभ पाने के लिए अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का लॉकेट उपहार में देना चाहिए।
  4.  मूल नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उन्हें अपने कर्मों से अचानक धनलाभ मूल नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के  सहयोग से मिलेगा|चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। माँ दो होती है। पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ|वृषभ जातक ने अपने कर्मों का अचानक लाभ पाने के लिए  अपनी तथा जीवनसाथी की माँ को उनकी राशि का पवित्र इत्र उपहार में देना चाहिए।    
  5. पुर्वाषाढा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हे अपने कर्मों से अचानक धनलाभ पुर्वाषाढा नक्षत्र के पहले चरण में , सूर्य के सहयोग से मिलेगा। सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है| पिता दो होते है। पहले स्वयं  के पिता है। एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता है। वृषभ जातक ने अपने कर्मों से अचानक धनलाभ पाने के लिए अपने एवं जीवनसाथी के पिता को उनकी राशि की धन एवं ज्योतिष पुस्तक उपहार में देना के चाहिए।
  6. पुर्वाषाढा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी के तीसरे चरण में हुआ है,उन्हे अपने कर्मों से अचानक धनलाभ पूर्वाषाढा नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली स्वयं की बहन तथा दूसरी जीवनसाथी की बहन। वृषभ जातक ने अपने कर्मों से अचानक धनलाभ पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का पवित्र सिक्का उपहार में  देना चाहिए।
  7. पुर्वाषाढा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे अपने कर्मों का अचानक धनलाभ पूर्वाषाढा नक्षत्र के तीसरे चरण में  शुक्र के सहयोग से मिलेगा। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। वृषभ जातक ने अपने कर्मों का अचानक धनलाभ पाने के लिये अपने जीवनसाथी को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिए।
  8. पूर्वाषाढा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हें अपने कर्मों से अचानक धनलाभ पूर्वाषाढा नक्षत्र के चौथे चरण में, मंगल के सहयोग से मिलेगा।मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले स्वयं के भाई एवं दूसरे जीवनसाथी के भाई। वृषभ जातक ने अचानक लाभ पाने के लिये अपने तथा जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देवे।
  9. उत्तराषाढा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हे अपने कर्मों से अचानक धनलाभ उत्तराषाढा नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा| गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के|इसलिये वृषभ जातक ने अपने कर्मों से अचानक धनलाभ पाने के लिए अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का पवित्र इत्र उपहार में देना चाहिए ।

 सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाल
(राशिधाम)

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