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Vrushab Rashi aur Jyotish – Gyarahvaa Sthan ( Labh Sthan )

ज्योतिष ज्ञान में जन्म कुण्डली के ११ वे स्थान को लाभ स्थान कहते है। इसे बड़े भाई, बड़ी बहन का स्थान भी कहते है। इसे बहुरानी का तथा जवाईराजा का स्थान भी कहते है। इसे भाग्य का पराक्रम स्थान, ससुराल का सुख स्थान भी कहते है। इसे पराक्रम का भाग्य स्थान भी कहते है। इस प्रकार लाभ स्थान के लाखों नाम है। वृषभ जातक ने अपना काम बढ़ाने के लिये अपने बड़े भाई, बड़ी बहन, पुत्रवधू तथा जवाईराजा को उनकी राशि की अंगुठी उपहार में देना चाहिये। अपने घर से उत्तर दिशा में जो नदी-तालाब- कुएँ आदी हो उनमें स्थित मछलियाँ को चारा देवे|मीन राशि की अमावस जो साल में एक बार आती है शुभ दिन मीन राशि को आहुति देवे तथा मीन राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन मीन राशि का अभिषेक करे।

      वृषभ जातक के लाभ स्थान की राशि मीन का स्वामी गुरू है। गुरू का दिन गुरूवार है। इसलिये वृषभ जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिए अपने तथा जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का एवं उनके संस्कारों का  आदर करना चाहिये। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर एवं उनके संस्कारों पर है।

      मीन राशि जो वृषभ जातक के लाभ स्थान की राशि है मे पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र का चौथा चरण,सम्पूर्ण | उत्तराभाद्रपद नक्षत्र एवं सम्पूर्ण रेवती नक्षत्र रहता हैं जिनके स्वामी गुरू, शनि एवं बुध है। मीन राशि का तत्व उत्तराभाद्रपद नक्षत्र एवं सम्पूर्ण रेवती नक्षत्र रहता हैं जिनके स्वामी गुरू, शनि एवं बुध है। मीन राशि का तत्व जल है इसलिये वृषभ जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिये अपने क्षेत्र में प्राणियों के लिये पीने के पानी की व्यवस्था करना चाहिए।

  1. पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उन्हें लाभ पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगा। चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है माँ दो होती है। पहली माँ अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी माँ जीवनसाथी की माँ । इसलिये वृषभ जातक ने मनपसंद लाभ पाने के लिये अपनी माँ तथा जीवनसाथी के माँ को उनकी राशि का ताम्बे, चाँदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये।
  2. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हें लाभ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगा। सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है। पिता दो होते है। पहले पिता अपने स्वयं के पिता तथा दूसरे पिता जीवनसाथी के पिता। वृषभ जातक ने मनपसंद लाभ पाने के लिये अपने पिता तथा जीवनसाथी के पिता को उनकी राशि का ताम्बे का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिए।
  3. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हे लाभ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली स्वयं की बहन तथा दूसरी जीवनसाथी की बहन| वृषभ जातक ने मनपसंद काम पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये|
  4. उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हे काम उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा| शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये जिस वृषभ जातक को अपना काम बढ़ाना है उन्होंने अपने जीवनसाथी को उनकी राशि का ताम्बे, चाँदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये।
  5. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हें लाभ  उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहला अपना खुद का भाई एवं दूसरा जीवनसाथी का भाई । जो वृषभ जातक अपना काम बढ़ाना चाहता है उसने अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिए।
  6. रेवती नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हे लाभ रेवती नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग तथा दुसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग । इसलिये वृषभ जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिए अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिए।
  7. रेवती नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के चौथ चरण में हुआ है, उन्हे लाभ रेवती नक्षत्र के दुसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगा।शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारियों पर है। कर्मचारी दो होते है। पहले अपने परिवार में काम करनेवाले तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी|इसलिये वृषभ जातक ने अपना काम बढ़ाने के लिए अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों को उनकी राशि का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिए|
  8. रेवती नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हे लाभ रेवती नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगा। शनि का नियंत्रण प्राणियों के कर्मों पर है। इसलिये वृषभ जातक ने अपना काम बढ़ाने के लिए अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी सदस्य को उनकी राशि का पवित्र सिक्का उपहार में देवे।
  9. रेवती नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हे लाभ रेवती नक्षत्र के चौथे चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा | गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी केपरिवार के बुजुर्ग। इसलिये वृषभ जातक ने अपना काम बढ़ाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का पवित्र सिक्का उपहार में देवें |

सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाल
(राशिधाम)

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