Vrushab Rashi aur Jyotish-Barahava Sthan ( Kharch Sthan )

ज्योतिष ज्ञान में जन्म कुण्डली के १२ वे स्थान को खर्च स्थान कहते है| इसे बरबादी का स्थान भी कहते है। इसे बड़े भाई,बड़ी बहन का धनस्थान कहते है। इसे बहुरानी एवं जवाईराजा का धनस्थान भी कहते है। इसे खानदान का लाभ स्थान भी कहते है। इसे चाचाजी का स्थान,छोटे मामी का स्थान भी कहते है। इस प्रकार इस स्थान के अनेकों नाम है।

     वृषभ जातक के खर्च स्थान की राशि मेष आती है। परिणाम वृषभ जातक का विशेष खर्च अपनेजन्मस्थान से पुर्व दिशा में अधिक रहेगा। मेष राशि का स्वामी मंगल है। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाईयों पर है। इसलिये मेष जातक का विशेष खर्च भाईयों पर भी रहेगा। अपने खर्च को अपनी कमाई के अनुसार रखने के लिये,जिससे कर्ज न लेना पड़े वृषभ जातक ने समय समय पर किसी भी भेड एवं बकरी को हरा चारा प्यार से खिलाना चाहिये।

     खर्च स्थान की राशि मेष अग्नि तत्व की राशि है। इसलिये मेष जातक ने जब भी मौका मिले अनजान प्राणियों को भोजन करवाना चाहिये।

     मेष राशि में अश्विनी नक्षत्र सम्पूर्ण, भरणी नक्षत्र सम्पुर्ण, तथा कृत्तिका नक्षत्र का पहला चरण आता है,जिनके स्वामी केतृ,शुक्र एवं सूर्य है। परिणाम वृषभ जातक का खर्च गुप्त कर्मोंपर,शौक पर, तम्बाखु, शराब आदि वैभव बतलाने पर एवं नेतृत्व पाने के लिये होगा| वृषभ जातक ने अपने खर्च पर नियंत्रण रखने के लिये पृथ्वी के किसी भी क्षेत्र में कुछ पेड़ लगाकर उनकी रक्षा करे। कारण खर्च स्थान की मेष यह अग्नितत्ववाली राशि है।

१) अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उनका विशेष खर्च अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से होगा। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | इसलिये वृषभ जातक ने अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के भाई का अपमान जाने अनजाने में न करे। अन्यथा उन्हें गृहस्थ जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के भाई का अपमान जाने अनजाने में न करे।अन्यथा उसे कर्जदार ही बने रहना होगा।

२) अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उनका विशेष खर्च अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से होगा। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये वृषभ जातक ने अपने खर्चों पर  नियंत्रण रखने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में अपने जीवनसाथी का जाने अनजाने में अपमान नहीं करना चाहिये | अन्यथा उसे कर्जदार ही बने रहना होगा।

३) अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है,उनका विशेष खर्च अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से होता है। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन तथा दूसरी जीवनसाथी की बहन| इसलिये वृषभ जातक ने अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में अपनी तथा जीवनसाथी की बहन का जाने अनजाने में अपमान नही करना चाहिये अन्यथा उन्हें कर्जदार रहना होगा।

४) अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उनका विशेष खर्च अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से होता है। चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। माँ दो होती है।पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ। इसलिये वृषभ जातक ने अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में अपनी तथा जीवनसाथी की माँ का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये।अन्यथा उन्हें अस्पताल एवं कोर्ट के चक्करों में लगे रहना होगा।

५) भरणी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उनका विशेष खर्च भरणी नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से होगा। सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है। पिता दो होते है। पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता। इसलिये वृषभ जातक ने अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में अपने एवं जीवनसाथी के पिता का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये अन्यथा उन्हें अपने मानव जीवन में कर्जदार ही बने रहना होगा।

६) भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उनका विशेष खर्च भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से होता है।बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है।बहन दो होती है।पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन का अपमान जाने अन्‍्जाने में न करे, अन्यथा उन्हे अपने गृहस्थ जीवन में कर्जदार ही बने रहना होगा।

७) भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उनका विशेष खर्च भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से होगा। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये वृषभ जातक ने अपने खर्चों का नियंत्रण रखने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में जाने अनजाने में अपने जीवनसाथी का अपमान नहीं करना चाहिये। अन्यथा उन्हे पीढ़ी दर पीढ़ी कर्जदार ही बने रहना होगा।

८) भरणी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है| इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उनका विशेष खर्च भरणी नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से होगा। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे  जीवनसाथी के भाई|इसलिये वृषभ जातक ने अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में अपने एवं जीवनसाथी के भाई का अपमान नहीं करना चाहिये अन्यथा उन्हे आये दिन अस्पताल एवं कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे।

९) कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उनका विशेष खर्च कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से होगा। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्ग पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं  दुसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग|इसलिये वृषभ जातक ने अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये,अन्यथा उन्हे पीढ़ी दर पीढ़ी कर्जदार ही बने रहना पड़ेगा |

सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाल
(राशिधाम)

Scroll to Top