Simha Rashi aur Jyotish-Tisara Sthan (Prakaram Sthan)

     घुमती हुई पृथ्वी पर ज्योतिष ज्ञान की राह में जन्म पत्रिका के तीसरे स्थान को जिसे तीसरा भाव भी कहते है को पराक्रम स्थान कहते है। इसे छोटे भाई, छोटी बहन का स्थान, जीवनसाथी के छोटे बहनोई, छोटे भाई की पत्नी का स्थान भी कहते है । इसे बुद्धी से, संतान पक्ष से मिलनेवाला लाभ स्थान भी कहते है| इसे भाभी एवं जीजाजी से मिलनेवाला काम का स्थान भी कहते है। इस प्रकार इस स्थान के हजारों हजारों नाम है, जो समय के परिवर्तन के साथ समय समय पर उपयोग में आते है।

      सिंह जातक के पराक्रम स्थान की राशि तुला आती है। तुला राशि पश्चिम दिशा की स्वामी है तथा पुरुष राशि, वायु तत्ववाली, चर राशि है। इसलिये सिंह जातक को अपने पराक्रम में सफलता अपने जन्मस्थान से पश्चिम दिशा में, पुरूष वर्ग के सहयोग से सकारात्मक चर्चा करने से मिलेगी | सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपने छोटे भाई, छोटी बहन तथा जीवनसाथी के छोटे बहनोई एवं छोटे भाई की पत्नी को उनकी राशि का पेन उपहार में देना चाहिये |

     तुला राशि की अमावस जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन सिंह जातक ने तुला राशि को आहुति देना चाहिये तथा तुला राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन तुला राशि का अभिषेक करना‌ चाहिये | सिंह जातक ने अपने मानव जीवन में अपने क्षेत्र में राशिधाम के निर्माण में अपना सहयोग देना चाहिये |जिससे वहाँ के बुद्धीमान प्राणी राशिधाम में आकर अपनी अपनी राशि के दर्शन कर सके । तुला राशि में चित्रा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, सम्पूर्ण स्वाती नक्षत्र एवं विशाखा नक्षत्र के पहले तीन चरण आते है, जिनके स्वामी मंगल, राहु एवं गुरू है ।

१) चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के पहले चरण के में हुआ है, उन्हे अपने पराक्रम में सफलता चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगी। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये सिंह जातक ने अपने पराक्रम में मनमाफिक सफलता पाने के लिये, जीवनसाथी को उनकी राशि का पेन उनके जन्मदिन पर उपहार में देना चाहिये ।

२) चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है । जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में  हुआ है, उन्हें अपने पराक्रम में सफलता चित्रा नक्षत्र में मंगल के सहयोग से मिलेगी। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | इसलिये सिंह जातक ने अपने पराक्रम में सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का पेन उपहार में देवे ।

३) स्वाती नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के तीसरे चरण  में हुआ है, उन्हें अपने पराक्रम में सफलता स्वाती नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगी । गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग । इसलिये सिंह जातक ने अपने पराक्रम में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का पेन उपहार में देना चाहिये |

४) स्वाती नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है । जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के चौथे चरण मेंऔर हुआ है, उन्हे अपने पराक्रम में सफलता स्वाती नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगी ।शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारियों पर है। कर्मचारी दो होते है। पहले अपने परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले | इसलिये सिंह जातक ने अपने पराक्रम में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों को उनकी राशि का पेन उपहार में देना चाहिये ।

५) स्वाती नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उन्हें अपने पराक्रम में सफलता स्वाती नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगी।  शनि का नियंत्रण प्राणी के कर्मों पर है | परिवार में कर्मवादी प्राणी दो होते है। पहले अपने परिवार के कर्मवादी प्राणी तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी प्राणी | इसलिये सिंह जातक ने अपने पराक्रम में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी सदस्यों को उनकी राशि का पेन उपहार में देवे ।

६) स्वाती नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे  चरण में हुआ है उन्हे अपने पराक्रम में सफलता स्वाती नक्षत्र के चौथे चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगी । गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है । बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग । इसलिये सिंह जातक ने अपने पराक्रम में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का पेन उपहार में देना चाहिये |

७) विशाखा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है । जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हें अपने पराक्रम में सफलता विशाखा नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगी । मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है । भाई दो होते है । पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई । इसलिये सिंह जातक ने अपने पराक्रम में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का पेन उपहार में देना चाहिये |

८) विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हें अपने पराक्रम में सफलता विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगी। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये सिंह जातक ने अपने पराक्रम में मनमाफिक सफलता पाने के लिये, जीवनसाथी को उनकी राशि का पेन उपहार में देवे ।

९) विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस सिंह जातक का जन्म उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उन्हें अपने पराक्रम में सफलता विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगी। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है । बहन दो होती है । पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन । इसलिये सिंह जातक ने अपने पराक्रम में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का पेन उपहार में देना चाहिये |

– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)

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