ज्योतिष ज्ञान में जन्म पत्रिका के चौथे स्थान को सुख स्थान कहते है। इसे माँ का स्थान, ससुरजी का स्थान,परिवार का स्थान,अपने रोग, गाँव, राज्य, राष्ट्र का स्थान भी कहते है। इसे कर्ज से लाभ मिलने का स्थान,चाची से लाभ मिलने का स्थान,छोटे मामा से लाभ मिलने का स्थान भी कहते है। इस प्रकार सुख स्थान के हजारों नाम है।
मिथुन जातक के सुख स्थान की राशि ‘कन्या’ है। मिथुन जातक ने अपने मानव जीवन में सुख पाने के लिये जाने अनजाने में किसी भी कन्या का अपमान नहीं करना चाहिये|कन्या के रूप में गाय,बकरी,आदि मादा प्राणी की सेवा करें। अपने घर की साफ सफाई स्वयं करे कारण कन्या राशि का तत्व पृथ्वी है । अपनी एवं जीवनसाथी की माँ का आदर करें|
कन्या राशि की दिशा दक्षिण है। इसलिये सुख पाने के लिये प्रतिदिन दक्षिण दिशा को नमन करे|अपने घर से दक्षिण दिशा में जो राशिधाम है वहाँ पर जाकर अपनी राशि के दर्शन करके उसे सच्चे मन से नमन करें अथवा अपने घर में राशिधाम की घड़ी लगाकर उसमें स्थित अपनी राशि को नमन करे|कन्या राशि का क्षेत्र 150 अंशो से 180 अंशो के मध्य का है। इसलिये मिथुन जातक को सुख उपरोक्त अंशो के मध्य रहनेवाले प्राणियों से विशेष मिलेगा। सुख बढ़ाने के लिये मिथुन जातक ने कन्या राशि के अमावस एवं पूनम जो साल में एक बार आती है,कन्या राशि को आहुति देवे एवं कन्या राशि का अभिषेक करें|
कन्या राशि में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के अंतिम तीन चरण,सम्पुर्ण हस्त नक्षत्र एवं चित्रा नक्षत्र के पहले दो चरण आते है।
१) उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी ‘शनि’ है।जिस मिथुन जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उन्हें मनचाहा सुख उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण में ‘शनि’ के सहयोग से मिलेगा। शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारियों पर है |कर्मचारी दो होते है।पहले अपने परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले|मिथुन जातक ने मनचाहा सुख पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
२) उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी ‘शनि’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म मृगशिरा करनेवाले नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे मनचाहा सुख उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में ‘शनि’ के सहयोग से मिलेगा। “शनि’ का नियंत्रण कर्मों पर है। इसलिये मिथुन जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा सुख के लिये अपने एबं जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी सदस्यों को ‘राशिधाम’ की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
३) उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी ‘गुरू’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उन्हें मनचाहा सुख उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में ‘गुरू’ के सहयोग से मिलेगा। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग|इसलिये मिथुन जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
४) हस्त नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी “मंगल’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उन्हें मनचाहा सुख हस्त नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है| पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई इसलिये मिथुन जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये अपने जीवनसाथी के भाई को राशिधाम की घड़ी उपहार में देवे।
५) हस्त नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी ‘शुक्र’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हें मनचाहा सुख हस्त नक्षत्र के दूसरे चरण में ‘शुक्र’ के सहयोग से मिलेगा। ‘शुक्र’ का नियत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये मिथुन जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये जीवनसाथी को ‘राशिधाम’ की घड़ी उपहार में देवे।
६) हस्त नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी “बुध’ है।जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है,उन्हे मनचाहा सुख हस्त नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध’ के सहयोग से मिलेगा|बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन|इसलिये मिथुन जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को ‘राशिधाम’ की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
७) हस्त नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी “चन्द्रमा’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उन्हे मनचाहा सुख हस्त नक्षत्र के चौथे चरण में ‘चन्द्रमा’ के सहयोग से मिलेगा।चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। माँ दो होती है। पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ |इसलिये मिथुन जातक ने अपने मानव जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की माँ को ‘राशिधाम’ की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
८) चित्रा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी ‘सूर्य’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ हैं उन्हें मनचाहा सुख चित्रा नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगा सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है। पिता दो होते है। पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता। इसलिये मिथुन जातक ने अपने मानव जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये अपने तथा जीवनसाथी के पिता को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये|
९) चित्रा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हे मनचाहा सुख चित्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में ‘बुध’ के सहयोग से मिलेगा। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन|इसलिये मिथुन जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये|अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को ‘राशिधाम’ की घड़ी उपहार में देना चाहिय
सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)