Mithun Rashi aur Jyotish- Pancham Sthan (Vidhya Sthan)

            ज्योतिष ज्ञान में जन्म पत्रिका के पाँचवे स्थान को बुद्धी स्थान, सन्तान स्थान, व्यापार स्थान कहते है।इसे भाभी का स्थान,जीजाजी का स्थान भी कहते है। इसे जीवनसाथी का लाभ स्थान, जीवनसाथी के बड़े भाई,बड़ी बहन का स्थान भी कहते है। इसे मिथुन राशि का नवपंचम स्थान भी कहते है। इस प्रकार पंचम स्थान के हजारों हजारों नाम है। मिथुन जातक के पंचम स्थान की राशि“तुला”आती है। तुला राशि का स्वामी ‘शुक्र’ है। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये मिथुन जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने उद्योगों में सफलता पाने के लिये जाने अनजाने में अपने जीवनसाथी का अपमान नहीं करना चाहिये|उन्हे उनके जन्मदिन पर उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये|

          मिथुन जातक ने सन्तान एवं सुख पाने के लिये अपने व्यापार,उद्योग,नौकरी में सफलता पाने के लिये अपने पंचमस्थान की राशि’तुला’की अमावस जो साल में एकबार आती है के शुभदिन तुला राशि को’आहुति’ देना चाहिये तथा तुला राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन तुला राशि का अभिषेक करना चाहिये।

     तुला राशि का क्षेत्र 180 अंशो से 210 अंशो के मध्य का है। इसलिये मिथुन जातक को अपने उद्योगों में मनचाही सफलता उपरोक्त अंशो में आनेवाले क्षेत्रों से मिलेगी।

    तुला राशि में चित्रा नक्षत्र के अंतिम दो चरण सम्पुर्ण स्वाती नक्षत्र एवं विशाखा नक्षंत्र के पहले तीन चरण आते है,जिनके स्वामी मंगल,राहु एवं गुरू है।

1) चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस मिथुन जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उन्हें अपने उद्योग में सफलता चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में ‘शुक्र’के सहयोग से मिलेगी। ‘शुक्र’ का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये मिथुन जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने उद्योगों में मनचाही सफलता पाने के लिये,जीवनसाथी को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये।

2) चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल हैं| जिस मिथुन जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हें अपने उद्योगों में सफलता चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगी|मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई|मिथुन जातक ने अपने उद्योगों में सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का सिक्का उपहार में देना चाहिये।

3) स्वाती नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हे अपने उद्योगों में सफलता स्वाती नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगी। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग।मिथुन जातक ने अपने उद्योगों में सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का सिक्का उपहार में देना चाहिये|

4) स्वाती नक्षत्र के दूसरे चरणका स्वामी ‘शनि’है। जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उन्हे अपने उद्योगों में सफलता स्वाती नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगी।शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारियों पर है।कर्मचारी दो होते है। पहले अपने परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले। मिथुन जातक ने अपने उद्योगो में सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों को उनकी राशि का पवित्र सिक्‍का उपहार में देना चाहिये।

5) स्वाती नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हें अपने उद्योगों में सफलता स्बाती नक्षत्र के तीसरे चरण में’शनि’के सहयोग से मिलेगी।शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मवादी प्राणियों पर है|कर्मवादी प्राणी दो होते है।पहले अपने परिवार के तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के|मिथुन जातक ने अपने उद्योगों में सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी सदस्यों को उनकी राशि का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये।

6) स्वाती नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे अपने उद्योगों में सफलता स्वाती नक्षत्र के चौथे चरण में ‘गुरू’ के सहयोग से मिलेगी|गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग|मिथुन जातक ने अपने उद्योगों में सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार को उनकी राशि का सिक्का उपहार में देना चाहिये|

7) विशाखा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल हैं जिस मिथुन जातक का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हे अपने उद्योगों में सफलता विशाखा नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगी|मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई।मिथुन जातक ने अपने उद्योगों में सफलता पाने के लिये अपने तथा जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का सिक्का उपहार में देना चाहिये।

8) विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस मिथुन जातक का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हें अपने उद्योगों में सफलता विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगी शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। मिथुन जातक ने अपने उद्योगों में मनचाही सफलता पाने के लिये,जीवनसाथी को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये।

9) विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस मिथुन जातक का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हे अपने उद्योगों में सफलता विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगी बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन|मिथुन जातक ने अपने उद्योगों में मनचाही सफलता पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का सिक्का उपहार में देना चाहिये ।

सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)

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