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Mesh Rashi aur Jyotish- Dasava Sthan (Karm Sthan)

जिनकी जन्म राशि मेष है,उनके कर्म स्थान की राशि मकर है| कर्म स्थान को सासू माँ का स्थान भी कहते हैं इसे खर्च का लाभ स्थान तथा भाग्य का धनस्थान भी कहते है।

      मकर राशि का क्षेत्र 270 अंशो से 300 अंशो के मध्य आता है। मकर राशि में उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के अंतिम 3 चरण, सम्पुर्ण श्रवण नक्षत्र तथा धनिष्ठा नक्षत्र के पहले दो चरण आते है| मेष जातक ने अपने कर्मों में सफलता पाने के लिये अपने पिताजी,सासू माँ तथा अपने उच्च अधिकारी वर्ग को राशिधाम की घड़ीखरीदकर उपहार में देना चाहिए | दुनिया में सब से बलवान समय है,इसलिये राशिधाम की घडी उपहार में देने से मेष जातक के कर्मों में सफलता एवं सामाजिक सेवा बढ़ेगी|

       मेष जातक ने मकर अमावस जो साल में एक बार आती के शुभ दिन अपनी राशि मेष के साथ मकर राशि को आहुति देना चाहिये तथा मकर पुनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन अपनी राशि मेष साथ मकर राशि का अभिषेक करना चाहिए।

       मेष जातक ने अपने कर्मों में नई उँचाई पाने के लिए हमेशा अपनी राशि मेष का पेन वापरना चाहिए| तथा पूजा आराधना आदी में मेष राशि का पवित्र इत्र बापरे|

     अपने मानव जीवन में अपने कर्मों से अपने पिताजी तथा सासू माँ को अपना सहयोग देना चाहिए। अपने घर की साफ सफाई में अपना सहयोग देना चाहिए। अनाथ, बेकारमानव को कर्मवादी बनाने में अपना सहयोग देवे। जिससे वे अपने कर्मों से कमाई करके अपनी गृहस्थी चला सके।

१)   उत्तराषाढ| नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उन्हे अपने कर्मों में सफलता उत्तराषाढा नक्षत्र के दूसरे चरण में, शनि के सहयोग से मिलेगी।इसलिये मेष जातक ने अपने कर्मों में सफलता पाने के लिये अपने घर में तथा जीवनसाथी के परिवार में कार्य कलेवाले कर्मचारियों का जाने अनजाने में अपमान नहीं करना चाहिये। ध्यान रहे शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारियाँ पर है तथा कर्मचारी दो होते है एक स्वयं के परिवार में कार्य करनेवाले एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार में कार्य करनेवाले |अन्यथा उन्हें अपने कर्मों में असफलता का सामना करना होगा।

२)   उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हे अपने कार्यों में सफलता उत्तराषाढा नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगी| इसलिये मेष जातक ने अपने कर्मों में सफलता पाने के लिये अपने क्षेत्र के किसी भी मानव को कर्म का महत्व समझाकर उन्हें कर्मवादी बनाना चाहिए जिससे बह अपने कर्मों से कमाई करके अपनी गृहस्थी चला सके| अन्यथा उन्हें अपने कर्मों में असफलता का सामना करना ही होगा।

३)   उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण मे हुआ है, उन्हें अपने कार्यों में सफलता उत्तराषाढा नक्षत्र के चौथे चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगी। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर तथा संस्कारों पर रहता है| इसलिये मेष जातक ने अपने कर्मों में सफलता पाने के लिये अपने परिवार के एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों तथा संस्कारों का अपमान जाने अनजाने में नहीं कला चाहिये अन्यथा उन्हें अपने कार्यों में असफलता का सामना करना पडेगा।

४)   श्रवण नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हे अपने कर्मों में सफलता श्रवण नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगी|मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है, तथा भाई दो होते है,पहला भाई स्वयं दूसरा जीवनसाथी का भाई। इसलिये मेष कर ते अपने कर्मों में सफलता पाने के लिये अपने तथा जीवनसाथी के भाई का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये| अन्यथा उन्हें असफलता का सामना करना होगा।

५)    श्रवण नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हें अपने कार्यों में सफलता श्रवण नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगी। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवसाथी पर है। इसलिये मेष जातक ने अपने कार्यों में सफलता पाने के लिए जाने अनजाने में अपने जीवनसाथी का अपमान नहीं करना चाहिए। अन्यथा उन्हे अपने कार्यों में असफलता का सामना करना होगा।

६)    श्रवण नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हें अपने कार्यों में सफलता श्रवण नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगी। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है पहली अपनी स्वयं की बहन तथा दूसरी अपनी जीवनसाथी की बहन। इसलिये मेष जातक ने अपने कार्यों में सफलता पाने के लिए अपनी तथा जीवनसाथी की बहन का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये अन्यथा उन्हें असफलता का सामना करना होगा खुद का अनुभव की सच्चाई है।

७)    श्रवण नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हे अपने कार्यों में सफलता श्रवण नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगी।चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। तथा माँ दो होती है पहली स्वयं की माँ एवं दूसरी जीवनसाथी की माँ| इसलिये मेष जातक ने अपने कार्यों में सफलता पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की माँ का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिए। अन्यथा उन्हें अपने कार्यों में असफलता का सामना करना होगा।

८)    धनिष्ठा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सुर्य है।इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे अपने कार्यों में सफलता धनिष्ठा नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगी। सूर्य का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है पहली अपनी स्वयं की बहन तथा दूसरी अपनी जीवनसाथी की बहन। इसलिये मेष जातक ने अपने कार्यों में सफलता पाने के लिए अपनी तथा जीवनसाथी की बहन का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये अन्यथा उन्हें असफलता का सामना करना होगा खुद का अनुभव की सच्चाई है।

९)     धनिष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिये जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हे अपने कार्यों में सफलता धनिष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगी। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है,पहली स्वयं की तथा दूसरी जीवनसाथी की बहन इसलिये मेष जातक ने अपने कार्यो में सफलता पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये। अन्यथा उन्हे असफलता का सामना कला होगा।

– सच्चाई के सेवा में
 ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)

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