जिनकी जन्म राशि मेष है, उनके लाभ स्थान की राशि कुंभ है। लाभ स्थान को बड़े भाई, बड़ी बहन,बहुरानी तथा जवाई राजा का स्थान भी कहते है।
कुंभ राशि का क्षेत्र 300 अंशो से 330 अंशो के मध्य आता है। कुंभ राशि में धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, सम्पुर्ण शतभिषा नक्षत्र एवं पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के पहले तीन चरण आते है| मेष जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिए अपनी बडी बहन, बडे भाई, बहुरानी तथा जबाई राजा को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये| ध्यान रहे दुनियाँ में सबसे बलवान समय है तथा राशिधाम की घड़ी में सभी राशियाँ है जहाँपर ग्रह अपने समय के अनुसार भ्रमण कर रहे है।
मेष जातक ने अपना स्थायी लाभ बढ़ाने के लिए कुंभ राशि की अमावस जो वर्ष में एक बार आती है शुभ दिन अपनी राशि मेष के साथ कुंभ राशि को आहुति देना चाहिए तथा कुंभ राशि की पुनम जो वर्ष में एक बार आती है के शुभ दिन अपनी राशि मेष के साथ कुंभ राशि का अभिषेक करना चाहिए।
मेष जातक ने अपने काम का विस्तार करने के लिए अपने बड़े भाई-बड़ी बहन, बहुरानी तथा जवाई राजा को उनकी राशि का पेन एवं डायरी उपहार में देना चाहिए। मेष जातक को लाभ पश्चिम दिशा से, वायु तत्व के कार्यों से, कर्मों के सहयोग से विशेष मिलेगा। ध्यान रहे मेष राशि के जातक के लाभ स्थान की राशि कुंभ है। कुंभ राशि की दिशा पश्चिम है तथा कुंभ राशि का तत्व वायु है। कुंभ राशि का स्वामी शनि है। शनि का नियंत्रण प्राणियों के कर्मों पर है तथा वह वायु तत्ववाला ग्रह है।
१) धनिष्ठा नक्षत्र कें तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हें अपने जीवन में लाभ धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा| शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये मेष जातक ने अपना काम बढ़ाने के लिए अपने गृहस्थ जीवन में अपने जीवनसाथी का अपमान जाने अनजाने रूप में नहीं करना चाहिए अन्यथा उन्हे लाभ के स्थान पर हानि प्राप्त होगी| खुद का अनुभव ही सच्चाई है।
२) धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है| इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हे अपने जीवन में लाभ धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में, मंगल के सहयोग से मिलेगा। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। तथा भाई दो होते है। पहला भाई स्वयं का तथा दूसरा जीवनसाथी का भाई| इसलिये मेष जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिए अपने तथा अपने जीवनसाथी के भाई का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिए।
३) शतभिषा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हे अपने जीवन में लाभ शतभिषा नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर तथा संस्कारों पर रहता है। बुजुर्ग दो होते है पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं अपने संस्कार तथा दूसरे अपने जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग एवं उनके संस्कार| इसलिये मेष जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिए अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का एवं उनके संस्कारों का अपमान नहीं करना चाहिए । अन्यथा उन्हें नुकसान का सामना करना होगा।
४) शतभिषा के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हे अपने जीवन में लाभ शतभिषा नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगा। शनि का नियंत्रण परिवार मे काम करनेवाले कर्मचारियों पर है। कर्मचारी भी दो प्रकार के होते है। पहले अपने परिवार में काम करनेवाले तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले| इसलिये मेष राशि के जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिए अपने जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिए।
५) शतभिषा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हें अपने जीवन में लाभ शतभिषा नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगा| शनि का नियंत्रण प्राणियों के कर्मों पर है। इसलिये मेष जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिए अपने मानव जीवन में अनजान बेकार को कर्मवादी बनाने में अपना सहयोग देना चाहिए,जिससे वे अपनी गृहस्थी सुचारू रूप से चला सके। पृथ्वी के किसी भी क्षेत्र में अनजान प्राणी को कमाने लायक बनाने से मेष जातक की आमदनी तेजी से बढ़ने लगेगी। खुद का अनुभव ही सच्चाई है।
६) शतभिषा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हे अपने जीवन में लाभ शतभिषा नक्षत्र के चौथे चरण में, गुरू के सहयोग से मिलेगा| गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर तथा संस्कारों पर है। इसलिये मेष जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिए अपने तथा जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का तथा उनके संस्कारों का आदर करना चाहिये अन्यथा उन्हें नुकसान का सामना करना होगा।
७) पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उन्हे लाभ पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा| मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहला अपना स्वयं का एवं दूसरा जीवनसाथी का भाई। इसलिये मेष जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिए अपने मानव जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के भाई का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये अन्यथा उन्हे नुकसान का सामना करना होगा। खुद का अनुभव ही सच्चाई है।
8) पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के चौथे चरणमें हुआ है, उन्हे लाभ पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा। शुक्र का नियंत्रण गृहस्थ जीवन में जीवनसाथी पर है। इसलिये मेष जातक ने अपना लाभ बढ़ाने के लिए अपने गृहस्थ जीवन में अपने जीवनसाथी का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये अन्यथा उन्हें हानि का सामना करना होगा। ध्यान रहे कर्म श्रेष्ठ है एवं बुद्धी गौण।
९) पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिये जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण मे हुआ है, उन्हे लाभ पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तीसरे चरण में ,बुध के सहयोग से मिलेगा। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है।पहली स्वयं की बहन तथा दूसरी जीवनसाथी की बहन। इसलिये मेष जातक ने अपना लाभ का के लिए अपने गृहस्थ जीवन में अपनी तथा जीवनसाथी की बहन का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिये अन्यथा उन्हे कर्जदार रहना होग | खुद का अनुभव की सच्चाई है। ही चाहिये। अन्यथा उन कर्जदार रहना होगा |
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)