जिनकी जन्म राशि मेष है, उनके सुखस्थान की राशि कर्क है। मेष जातक के सुखस्थान की राशि कर्क का क्षेत्र 90 अंशो से 120 अंशो के मध्य का है। इसलिए मेष जातक को सुख उपरोक्त अंशो मे आनेवाले क्षेत्रो से उत्तर दिशा से चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगा| कर्क राशि का तत्व जल है| इसलिये पृथ्वी का जो भी मेष जातक अपने मानव जीवन में पारिवारीक सुख, मानसिक सुख, अपने क्षेत्र में सुख, अपने राज्य तथा राष्ट्र में सुख चाहता है, उसने अपने आसपास के क्षेत्रों में पीने के पानी की व्यवस्था करवाने/में अपना सहयोग देन चाहिए।
अपने मानव जन्म में आनेवाली प्रत्येक कर्क पूनम जो साल मे एक बार आती के शुभ दिन अपने सुखस्थान की राशि कर्क का अभिषेक नमकीन पानी से करना चाहिए|
मानव जीवन में आनेवाली कर्क अमावस जो साल में एक बार आती है वो शुभ दिन मेष जातक ने अपने सुखस्थान की राशि कर्क को आहुति देना चाहिए| इससे मेष जातक को मानसिक एवं पारिवारीक सुख के साथ क्षेत्रों का सुख, राज्य एवं राष्ट्र का सुख मिलने लगेगा| खुद का अनुभव ही सच्चाई है। ध्यान रहे कर्म श्रेष्ठ है एवं बुद्धी गौण है।
मेष जातक के सुख स्थान की राशि कर्क आती है। कर्क राशि में पुनर्वसु नक्षत्र का चौथा चरण, सम्पुर्ण पुष्य नक्षत्र एवं सम्पुर्ण आश्लेषा नक्षत्र रहता है| पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी गुरू है, पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि है तथा आश्लेषा नक्षत्र का स्वामी बुध है|
- पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हें अपने मानव जीवन में सुख, पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगा|चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। इसलिये मेष जातक ने मनभावन सुख पाने के लिए अपनी तथा जीवनसाथी की माँ का अपमान नहीं करना चाहिए अन्यथा मेष जातक पीढ़ी दर पीढ़ी कर्जदार बना ही रहेगा।
- पुष्य नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उन्हे अपने मानव जीवन में सुख पुष्य नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगा सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है पिता दो होते है पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे अपने जीवनसाथी के पिता| पृथ्वी का जो भी मानव जाने अनजाने में अपने पिता का अपमान करेगा उसे कर्जदार बना रहना|
- पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिए जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उन्हें अपने मानव जीवन में सुख पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा । बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है, पहली बहन अपनी स्वयं की तथा दूसरी अपने जीवनसाथी की| इसलिये जो भी मानव जाने अनजाने में अपनी बहन का अपमान करेगा उसे सुख नहीं मिलेगा एवं वह कर्जदार बना रहेगा।
- पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिऐ जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हें अपने मानव जीवन में सुख पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिए मेष जातक ने सुख पाने के लिए जाने अनजाने में भी अपने जीवनसाथी का अपमान नहीं करना चाहिये अन्यथा मेष जातक अपने मानव जीवन में कर्जदार ही बना रहेगा|
- पृष्य नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है| इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हें अपने मानव जीवन में सुख पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण के मंगल के सहयोग से मिलेगा| मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है,पहला भाई स्वयं का भाई एव भाई दुसरा जीवन साथी का भाई| इसलिये मेष जातक ने सुख पाने के लिये जाने अनजाने में अपने तथा अपन जीवनसाथी के भाई का अपमान न करे, अन्यथा कर्जदार ही बना रहेगा|
- आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण मे हुआ है उन्हे मनभावक सुख आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा। इसलिये मेष जातक ने मनभावक सुख पाने के लिये अपने मानव जीवन मे अपने तथा जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का अपमान जाने अनजाने में न करे कारण गुरू का नियंत्रण बुजुर्गों पर है|
- आश्लेषा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है| इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण मे हुआ है उन्हे मन भावक सुख आश्लेषा नक्षत्र के दूसरे चरण मे शनि के सहयोग से मिलेगा| इसलिये सुख पाने के लिये मेष जातक ने अपने आसपास के किसी भी कर्मचारी का अपमान नहीं करना चाहिये तथा अनजान प्राणी को रोजगार देने मे अपना सहयोग देना चाहिये।
- आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे मनभावक सुख आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगा| इसलिये सुख पाने के लिये मेष जातक ने किसी भी मेहनत करनेवाले कर्मचारी का अपमान नहीं करना चाहिये तथा अनजान बेकार प्राणी को कर्मवादी बनाने में सहयोग देवे, जिसमे वे कर्म करके अपनी गृहस्थी चला सके।
- आश्लेषा के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण मे| हुआ है उन्हें मनभावक सुख आश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण मे गुरू के सहयोग से मिलेगा। सुख बढ़ाने के लिये उन्होंने अपने तथा जीवन साथी के परिवार के बुजुर्गों का अपमान नहीं करना चाहिये| अन्यथा मेष जातक कर्ज में रहेगा।
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)