जिनकी जन्म राशि मेष है, उनके खर्च स्थान की राशि मीन है|खर्च स्थान की दिशा उत्तर है। परिणाम मेष जातक का विशेष खर्च उत्तर दिशा में होता है। मीन राशि का तत्व जल है|परिणाम मेष जातक का खर्च पानी पर, पानी की व्यवस्था करने पर,पानी से अपनी तथा अपने परिवार की रक्षा करने पर होता है।
मेष जातक के खर्च स्थान की राशी मीन का स्वामी गुरू है| इसलिये मेष जातक का खर्च सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में विशेष होता है।
मीन राशि की अमावस जो साल में एकबार आती है के समय मेष जातक ने मीन राशि को आहुति देना चाहिए तथा मीन राशि की पुनम जो साल में एकबार आती है के समय मेष जातक ने मीन राशी का अभिषेक करना चाहिए|
अपने खर्चों का सही उपयोग रहे, इसके लिये मेष जातक ने अपने आसपास के सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रों को राशिधाम की पवित्र घड़ी खरीदकर उपहार में देना चाहिये।
मीन राशि में पुर्वाभाद्रपद का अंतिम चरण, सम्पुर्ण उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र एवं सम्पुर्ण रेवती नक्षत्र आता है, जिसके स्वामी गुरू, शनि एवं बुध है। बुजुर्गों पर विद्या के क्षेत्र में मेष जातक का विशेष खर्च होता है, इसका उन्हें लाभ मानव जन्म में समय के परिवर्तन के साथ मिलेगा यह विश्वास रखे।
- पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उनका सामाजिक खर्च पुर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से होगा। खर्च के लिये कर्ज न लेना पडे, इसके लिये मेष जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपनी तथा जीवनसाथी की माँ का अपमान जाने अज्जाने में नहीं करना चाहिए। ध्यान रहे चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है|तथा माँ दो होती है। पहली स्वयं की माँ एवं दूसरी जीवनसाथी की माँ।
- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सुर्य है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उनका सामाजिक खर्च उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से होगा। खर्च के लिये कर्ज न लेना पडे, इसके लिये मेष जातक ने अपने मानव जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के पिता का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिए| ध्यान रहे सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है तथा पिता दो होते है पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता।
- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिये जिनका जन्म अख्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उनका सामाजिक एवं धार्मिक खर्च उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से होगा। खर्च के लिये कर्ज न लेना पड़े, इसके लिये मेष जातक ने अपने मानव जीवन में अपनी तथ जीवनसाथी की बहन का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिए |ध्यान रहे बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है तथा बहन दो होती है, पहली बहन स्वयं की बहन एवं दूसरी बहन जीवनसाथी की बहन |
- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है । इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उनका सामाजिक एवं धार्मिक खर्च उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से बढ़ेगा| खर्च के लिये कर्ज न लेना पडे, इसके लिये मेष जातक ने अपने मानव जीवन में जाने अनजाने में अपने जीवनसाथी का अपमान नहीं करना चाहिए। अन्यथा उन्हे पीढ़ी दर पीढ़ी कर्जदार ही बने रहना पड़ेगा|खुद का अनुभव ही सच्चाई है।
- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। इसलिए जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के पहले चरण मे हुआ है, उनका सामाजिक एवं धार्मिक खर्च, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण मे, मंगल के सहयोग से होगा|खर्च के लिये कर्ज न लेना पडे, इसके लिये मेष जातक ने अपने मानव जीवन में जाने अनजाने में अपने तथा जीवनसाथी के भाई का अपमान नहीं करना चाहिए। अन्यथा उन्हे पीढ़ी दर पीढ़ी कर्जदार ही बने रहना होगा।
- रेवती नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उनका सामाजिक एवं धार्मिक खर्च रेवती नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से होगा| खर्च के लिये कर्ज न लेना पड़े,इसके लिये मेष जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का तथा उनके संस्कारों का अपमान नहीं करना चाहिये| मानव जीवन में बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के| इसलिये उनका एवं उनके संस्कारों का अपमान न करें|
- रेवती नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उनका सामाजिक एवं धार्मिक खर्च रेवती नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि के सहयोग से होगा। खर्च के लिये कर्ज न लेना पड़े, इसके लिये मेष जातक ने अपने तथा जीवनसाथी के परिवार के किसी भी कर्मचारी का जाने अनजाने में अपमान न करें। ध्यान रहे शनि का नियंत्रण कर्मचारी वर्ग पर है।कर्मचारी दो होते है। पहले स्वयं के यहाँ काम करनेवाले तथा दूसरे जीवनसाथी के यहाँ का काम करनेवाले|
- रेवती नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उनका सामाजिक एवं धार्मिक खर्च रेवती नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से होगा। खर्च के लिये कर्ज न लेना पडे, इसके लिये मेष जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में किसी भी बेकार प्राणी को कर्मवादी प्राणी बनाने में अपना सहयोग देना चाहिये, जिससे वह मेहनत की रोटी कमाकर अपनी गृहस्थी पाल सके|
- रेवती नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उनका सामाजिक एवं धार्मिक खर्च रेवती नक्षत्र के चौथे चरण में गुरू के सहयोग से होगा। खर्च के लिए कर्ज न लेना पडे,इसके लिये मेष जातक ने अपने मानव जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का एवं उनके संस्कारों का अपमान न करें| अन्यथा उन्हे पीढ़ी दर पीढ़ी कर्जदार ही रहना होगा। ध्यान रहे गुरू का नियंत्रण परिवरा में बुजुर्गों पर तथा संस्कारों पर है। बुजुर्ग एवं संस्कार दो होते है । पहले अपने स्वयं के परिवार के तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के |
– सच्चाई के सेवा में>
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले>
राशिधाम)