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Kark Rashi ka Jyotish – Dusra Sthan ( Dhan Sthan )

ज्योतिष ज्ञान की पगडंगी मे कर्क राशि के दूसरे स्थान जिसे धन स्थान कहते है की राशि सिंह आती है। धन स्थान को दूसरा स्थान, परिवार से लाभ मिलने का स्थान, बड़े मामाजी , बड़ी मावसी, ताईजी, बड़े फूफाजी का स्थान भी कहते है।

   कर्क जातक के धनस्थान की राशि सिंह आती है। सिंह राशि की दिशा पूर्व है। इसलिये कर्क जातक को धन अपने जन्मस्थान से पूर्व दिशा से, सूर्य के शासन में, पुरूष वर्ग से मिलेगा | सिंह राशि का तत्व अग्नि है। इसलिये कर्क जातक को धन अग्नि तत्व की वस्तुओं के निर्माण, उद्योग, व्यापार से मिलेगा । अपना धन बढ़ाने के लिये कर्क जातक ने हमेशा अपने पर्स एवं केंश बॉक्स में अपने धनस्थान की राशि सिंह का ताम्बे का पवित्र सिक्का रखना चाहिये तथा उसे प्रतिदिन नहाने के बाद अपनी राशि की अगरबत्ती लगाकर सच्चेमन से नमन करना चाहिये।

    सिंह राशि की अमावस तथा सिंह राशि की पूनम जो साल में एक एक बार आती है के शुभ दिन कर्क जातक ने सिंह राशि के पवित्र सिक्के का पूजन अपने परिवार के साथ करना चाहिये ।

    अपना धन बढ़ाने के लिये जातक ने अपने बड़े मामाजी , बड़ी मावसी , ताईजी तथा बड़े फूफाजी को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये |

    सिंह राशि मे सम्पूर्ण मघा नक्षत्र, सम्पूर्ण पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र एवं उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का पहला चरण आता है, जिनके स्वामी केतृ, शुक्र एवं सूर्य है । कर्क राशि के जातक ने जब भी मौका मिले अनजान मानव को रोटी आदि प्रेम एवं श्रद्धा से खिलाना चाहिये ।

1) मघा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है | जिनका जन्म कर्क राशि में पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हें धन मघा नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा । मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है । पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई। अपने गृहस्थ जीवन में अपना धन बढ़ाने के लिये कर्क जातक ने अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का ताम्बे , चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देवे ।

2) मघा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिनका जन्म कर्क राशि में पुष्य नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हे धन मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगां शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। अपने गृहस्थ जीवन में अपना धन बढ़ाने के लिये कर्क जातक ने जीवनसाथी को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये |

3) मघा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। जिनका जन्म कर्क राशि में पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हे धन मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा । बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन | कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपना धन बढ़ाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये ।

4) मघा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है | जिनका जन्म कर्क राशि में पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हे धन मघा नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगा । चन्द्रमा का नियंत्रण  परिवार में माँ पर है। माँ दो होती है। पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दुसरी जीवनसाथी की माँ। कर्क जातक अपने गृहस्थ जीवन में अपना धन बढ़ाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की माँ को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये ।

5) पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। जिनका जन्म कर्क राशि में पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे धन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगा। सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है। पिता दो होते है। पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता । कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपना धन बढ़ाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के पिता को  उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये ।

6) पूर्वाफालगुनी नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। जिनका जन्म कर्क राशि में आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हे धन पुर्वाफालगुनी नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा ।  बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है । पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी  जीवनसाथी की बहन | कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा धन पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये |

7) पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिनका जन्म कर्क राशि में आश्लेषा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हे धन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा  शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनमाफिक धन पाने के लिये, जीवनसाथी को उनकी राशि का ताम्बे,चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये ।

8) पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। जिनका जन्म कर्क राशि में आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हे धन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा । मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है । भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | इसलिये कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा धन पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देगा चाहिये ।

9) उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। जिनका जन्म कर्क राशि में आश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हे अर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग | इसलिये कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा धन पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के बुजुर्गों को उनकी राशि का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देगा चाहिये।

   – सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)

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