जिनकी जन्म राशि वृषभ है मतलब जिनके जन्म के समय चन्द्रमा वृषभ राशि में भ्रमण कर रहा था, उनका मन साफ रहता है| ध्यान रहे वृषभ राशि में चन्द्रमा उच्च का होता है। ऐसे जातक कड़ी मेहनत करते है। इनके साफ मन की वजह से इनके आसपास विपरित लिंगी प्राणी अधिक रहते है।
भगवान श्रीकृष्णजी की जन्म राशि वृषभ है,इसलिये उनके आसपास गोपियाँ अधिक रही है| वृषभ राशि का स्वभाव स्थायी है। इसलिये वृषभ जातक अपनी बातों का पालन करते है। अपने निर्णय पर कायम रहते है। वृषभ राशि की दिशा दक्षिण है इसलिये वृषभ जातक को दक्षिण दिशा से,वहाँ के क्षेत्रों से,जड़, चेतन,प्राणियों से विशेष लगाव रहता है तथा वे समय समय पर उनकी मदत भी करते है।
वृषभ राशि का तत्व पृथ्वी है,इसलिये वृषभ जातक को अपनी वस्तुओं से,अपने घर, मकान, क्षेत्र,राज्य एवं राष्ट्र से विशेष प्रेम रहता है| वे अपने घर की साफ सफाई में अपना सहयोग भी देते है।
वृषभ राशि की निशानी बैल है,तथा गाय उसी परिवार से है, इसलिये वृषभ जातक गाय-बैल की सेवा में रूची रखता है तथा दुध एवं उसके सहयोग से बनी वस्तुओं का आदर भी करता है। वृषभ राशि में कृत्तिका नक्षत्र के अंतिम तीन चरण सम्पुर्ण रोहिणी नक्षत्र एवं मृगशिरा नक्षत्र के पहले दो चरण आते है। जिनके स्वामी सुर्य, चन्द्रमा एवं मंगल है। वृषभ जातक अपने मानव जीवन में अपने माता-पिता का आदर करता है तथा समय समय पर अपने भाई की मदत करता है।
जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है वे अपने गृहस्थ जीवन में आत्मिक कर्म करते है तथा कडी मेहनत के बाद सफलता पाते है।
जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है वे मानव अपने गृहस्थ जीवन में अपनी आत्मा से कई बेकार लोगों की मदत करके उहें कर्मवादी बनाते है,जिससे वे किसी न किसी प्रकार के उचित कार्य करके अपनी गृहस्थी चला सके एवं अपने क्षेत्र एवं समाज की सेवा कर सके।
जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है वे मानव अपनी आत्मा से धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में रूची रखनेवाले होते है। वे अपने तथा जीवनसाथी के पिता का,उनके संस्कारों का आदर करते हैं ,कई सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रों को नेतृत्व करके अपनी अलग पहचान बना लेते है।
जिनका जन्म रोहिणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उनमें मानसिक उर्जा बहुत रहती है। वे अपने गृहस्थ जीवन में अपनी मानसिक उर्जा के सहयोग से मनभावक सफलता पाते है तथा अपने क्षेत्र में अपनी हर पहचान बना लेते है। अपने मन से अपने एवं जीवनसाथी के भाई की मदत करते हैं उनका मन साफ सफाई के क्षेत्रों में विशेष लगा रहता है।
जिनका जन्म रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उनमें मानसिक वैभव रहता है| उनका मन हर कार्य को वैभवशाली बनाने में लगा रहता है। कम से कम खर्च में वे अपने मन से कार्यों का वैभव बढ़ा देते है। अपने जीवन साथी का वैभव बढ़ाने में सहयोग देते है। भोजन आदी रूची लेकर बनाते है तथा खाते भी है। स्वाद का अनुभव रखते है।
जिनका जन्म रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उनका मानसिक व्यवहार साफ सुथरा रहता हैं अपने मन में किसी से भी गंदा व्यवहार करने की कल्पना भी नहीं कर सकते| अपने मानव जन्म में अपनी तथा जीवनसाथी की बहनों का आदर करते है तथा समय समय पर उन्हे अपना सहयोग देते है । व्यापार के क्षेत्र में विशेष रूची रखते है|
जिनका जन्म रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उनके मन में अपनी तथा जीवनसाथी की माँ के प्रति आदर एवं श्रद्धा रहती है। वे अपने घर की साफ सफाई मन लगाकर करते है तथा अपनी मानसिक शीतलता की पगडंडी पर चलकर कठिन से कठिन कार्यों में सफलता पाते है। उनकी मानसिक शीतलता परिवार एवं समाज को नई उँचाई पर लाती है।
जिनका जन्म मृगशिरा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उनकी मानसिक उर्जा अपने क्षेत्र का नेतृत्व करने की रहती है। वे अपने गृहस्थ जीवन में अपनी उर्जा से अपने पिता एवं जीवनसाथी के पिता को मदत करते है, उनके आज्ञा का पालन करते है। अपने मन में जो कार्य करने का निर्णय कर लेते है उसमें अपनी पुरी शक्ति लगा देते है तथा उसे सफलता के शिखर पर पहुँचाने तक हर पल लगे रहते है। गुप्त रूप से पिता को मदत करते है|
जिनका जन्म मृगशिरा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उनका मानसिक व्यवहार उर्जावान रहता हैं वे अपने मानव जीवन में अपनी पसंद का व्यापार एवं उद्योग करते है। समय समय पर अपनी बहनों की मदत अपने मन से करते है| उन्हें लिखने पढ़ने का तथा ज्योतिष के क्षेत्र में विशेष लगाव रहता है।
वृषभ जातक का बलवान समय प्रतिदिन दो से तीन का रहता है। यह ध्यान में रखे ।
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाल
(राशिधाम)