ज्योतिष ज्ञान में कुण्डली के छठा स्थान को कर्जस्थान, रोग स्थान, दुश्मन का स्थान,विरोध का स्थान कहते है। इसे छोटे मामाजी का,चाची का तथा छोटे फूफाजी का स्थान भी कहते है। इसे ससुराल से लाभ मिलने का स्थान,परिवार के पराक्रम का स्थान, माँ तथा ससुरजी के पराक्रम का स्थान भी कहते है।
वृषभ जातक के छठा स्थान की राशि तुला आती है|तुला राशि का तत्व वायु है|इसलिये वृषभ जातक के बारे में कई क्षेत्रों में विरोधी चर्चा भी रहती हैं अपनेवाले उनकी सफलता,उनकी सच्चाई देखकर ईर्षा करते कर्ज है| तुला राशि की दिशा पश्चिम है। इसलिये वृषभ जातक को पश्चिम दिशा से कई बार विरोध का सामना भी करना पड़ता है।
तुला राशि का स्वामी शुक्र है। जो वृषभ राशि के जातक का राशि स्वामी भी है। इसलिये कई बार वृषभ जातक खुद का दुश्मन खुद ही बन जाता है। अपने विरोधीयों पर विजय पाने के लिये, अपने स्वास्थ्य को निरोग रखने के लिये वृषभ जातक ने अपने घर में सफेद रंग के फूलों के पौधों को लगाकर उनकी रक्षा करना चाहिए।
तुला राशि में चित्रा नक्षत्र के अंतिम २ चरण, सम्पूर्ण स्वाती नक्षत्र एवं विशाखा नक्षत्र के पहले ३ चरण आते है| जिनके स्वामी मंगल, राहू एवं गुरू है । कर्ज से मुक्ति के लिये वृषभ जातक ने तुला राशि की अमावस को तुला राशि को आहुति देना तथा तुला पूनम को तुला राशि का अभिषेक करना चाहिए।
1) चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हे अपने कर्जों से राहत,चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगी। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। जो वृषभ जातक अपने कर्जों से मुक्ति चाहता है उसने अपने जीवन साथी को उनकी राशि का ताम्बे,चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिए।
2) चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है| इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उन्हें अपने कर्जों से राहत चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगी। मंगल का नियंत्रण भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई एवं दूसरे जीवनसाथी के भाई|जो वृषभ जातक अपने कर्जों से राहत चाहता है उसने अपने एवं जीवनसाथी के भाई को, उनकी राशि का लॉकेट उपहार में देना चाहिए।
3) स्वाती नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। जिस वृषभ जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है,उन्हें अपने कर्जों से गहत स्वाती नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगी|गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। एक अपने परिवार के बुजुर्ग तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के| जो वृषभ जातक अपने कर्जों से राहत पाना चाहता है उसने अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का पवित्र इत्र उपहार में देना चाहिए।
4) स्वाती नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हे अपने कर्जों से राहत स्वाती नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगी। शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारियों पर है। कर्मचारी दो होते है। पहले अपने परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी|जो वृषभ जातक अपने कर्जों से राहत चाहता है उसने अपने एवं जीवनसाथी के कर्मचारियों को उनकी राशि की अगरबत्ती उपहार में देना चाहिए।
5) स्वाती नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उन्हे अपने कर्जों से राहत स्वाती नक्षत्र के तीसरे चरण में, शनि के सहयोग से मिलेगी। शनि का नियंत्रण प्राणियों के कर्मों पर है। जो वृषभ जातक अपने कर्जों से राहत पाना चाहता है, उसने अपने क्षेत्र के बेकार गृहस्थ को कर्मवादी बनवाकर उन्हें मेहनत से कमाई करनेलायक बनाने में अपना सहयोग देना चाहिए।
6) स्वाती नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उन्हें अपने कर्जों से राहत स्वाती नक्षत्र के चौथे चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगी | गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। एक अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग। जो वृषभ जातक अपने कर्जों से राहत पाना चाहता है उसने अपने परिवार एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिए।
7)विशाखा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है। जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है,उन्हे अपने कर्जों से राहत विशाखा नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगी|मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई| जो वृषभ जातक अपने कर्जों से राहत चाहता है उसने अपने एवं जीवन साथी भाई को उनकी राशि का पेन उपहार में देना चाहिए।
8) विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिशा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हे अपने कर्जों से राहत विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण में, शुक्र के सहयोग मिलेगी|शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। जो वृषभ जातक अपने कर्जों से राहत पाना चाहता है, उसने अपने जीवनसाथी को उनकी राशि का लॉकेट उपहार में देना चाहिए।
9) विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिशा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हे अपनों कर्जों से राहत विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण में,बुध के सहयोग से मिलेगी। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन तथा दूसरी अपने जीवनसाथी की बहन|वृषभ जातक ने अपने कर्जों से राहत पाने के लिए अपनी तथाजीवनसाथी की बहन को उनकी राशि की अंगुठी उपहार में देना चाहिए।
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाल
(राशिधाम)