ज्योतिष ज्ञान में कुण्डली के चौथे स्थान को सुख स्थान कहते है। इसे माँ का स्थान, सन््मान, वाहन,परिवार का स्थान, ससुरजी का स्थान भी कहते है| इसे कर्ज से लाभ का स्थान,जीवनसाथी के कर्म का स्थान भी कहते है। वृषभ जातक के सुख स्थान की राशि सिंह आती है। सिंह राशि का क्षेत्र 120 अंशो से 150 अंशो के तहत आता है। घुमती हुई पृथ्वी का जो भी क्षेत्र उपरोक्त अंशो के तहत आता है,वह क्षेत्र सिंह राशिवाला क्षेत्र कहलता है।
वृषभ जातक की माँ एवं ससुरजी का स्वभाव तेज रहता है। वृषभ जातक ने मनभावक वाहन प्राप्ती के लिए,मकान बनाने के लिए अपने परिवार में हमेशा राशिधाम की पवित्र घड़ी लगाकर उसे प्रतिदिन नहाने के बाद अपनी राशि की अगरबत्ती अथवा अपनी राशि का पवित्र इत्र लगाकर सच्चे मन से नमन करना चाहिए। समय के परिवर्तन के साथ उनको उनका मनपसंद वाहन एवं मकान मिलने लगेगा। अनुभव आज से १ साल में आयेगा। कारण सिंह राशि जो वृषभ राशि के सुख स्थान की राशि सिंह का स्वामी सूर्य है कि सूर्य १ साल में सभी राशियों की परिक्रमा कर लेता है।
सुख स्थान की राशि सिंह में सम्पुर्ण मघा नक्षत्र, सम्पुर्ण पुर्वा फाल्गुनी नक्षत्र एवं उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का पहला चरण आता है,जिनके स्वामी केतू, शुक्र एवं सूर्य है।
1) मघा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है|इसलिये जिनका जन्म कृतिका नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हें मनचाहा सुख मघा नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है तथा भाई दो होते है,पहला भाई अपना स्वयं का भाई तथा दूसरा भाई जीवनसाथी का भाई| इसलिये वृषभ जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मन चाहा सुख पाने के लिए अपने एवं जीवनसाथी के भाई को राशिधाम की घड़ी उपहार में उनके जन्म दिन पर देवे|
2) मघा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृतिका नक्षत्र के तीसरे चरण मे हुआ है,उन्हे मन चाहा सुख मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये वृषभ जातक ने अपने मानव जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये अपने जीवनसाथी को उनके जन्मदिन पर राशिधाम की घडी उपहार में देवे|
3) मघा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म कृतिका नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे मनचाहा सुख मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है,पहली स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन| इसलिये वृषभ जातक ने मनचाहा सुख पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनके जन्मदिन पर राशिधाम की घडी उपहार मे देना चाहिये|
4) मघा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उन्हे मानव जीवन में मनचाहा सुख मघा नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगा ।चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है|तथा माँ दो होती है| पहली अपनी स्वयं की माँ एवं दूसरी जीवनसाथी की माँ| इसलिये वृषभ जातक ने अपने गृहस्थ जीवन म॑ मनचाहा सुख पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की माँ के जन्मदिन पर राशिधाम की घडी उपहार में देवे| खुद का अनुभव ही सच्चाई है।
5) पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सुर्य है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उन्हें मानव जीवन में मनचाहा सुख पुर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में सुर्य के सहयोग से मिलेगा। सुर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है तथा पिता दो होते है। पहले अपने स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता| इसलिये वृषभ जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये उनके जन्मदिन पर उन्हें राशिधाम की घडी उपहार में देवे।
6) पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है| इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उन्हे मानव जीवन में मनचाहा सुख पुर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है| पहली स्वयं बहन की एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन| इसलिये वृषभ जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को उनके जन्मदिन पर राशिधाम की घडी उपहार में देना चाहिए।
7) पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म रोहिणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा सुख पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा|इसलिये वृषभ जातक ने सुख पाने के लिये अपने जीवनसाथी को उनके जन्मदिन के शुभ समय राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये। ध्यान रहें शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। जिनके जीवनसाथी नहीं है उन्होंने अपने मित्र को राशिधाम की घड़ी उनके जन्मदिन पर उपहार में देवे ।
8) पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है| इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हें अपने मानव जीवन में मनचाहा सुख पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा। वृषभ जातक ने मनचाहा सुख पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनके जन्मदिन पर राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
9) उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिस वृषभ जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उन्हें अपने मानव जीवन में मनचाहा सुख उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग मिलेगा लेगा । गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्गों दो होते है। पहले अपने परिवार के तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के | इसलिये वृषभ जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनचाहा सुख पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनके जन्मदिन। पर राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिए।
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाल
(राशिधाम)