मानव जीवन में ज्योतिष ज्ञान के सागर की गहराई में जन्म पत्रिका के पाचवे स्थान को विद्या स्थान, बुद्धी स्थान, सन्मान स्थान, व्यापार स्थान कहते है। इसे मामी का स्थान, जीजाजी का स्थान, जीवन साथी के बड़े भाई, बड़ी बहन का स्थान भी कहते है । इसे जीवनसाथी से लाभ का स्थान, समाज से लाभ का स्थान भी कहते है । इस प्रकार पाचवे स्थान के हजारों हजारों नाम है जो समय के परिवर्तन के साथ उपयोग में आते है ।
सिंह जातक के पाचवे स्थान की राशि धनु आती है। धनू राशि की दिशा पूर्व है, तत्व अग्नि है, स्वभाव द्विस्वभाव है, लिंग पुरूष है । इसलिये सिंह जातक ने अपने ग्रहस्थ जीवन में अपने उद्योग, व्यापार में सफलता पाने के लिये अपने घर में बननेवाले भोजन का भोग प्रतिदिन दोनों समय उस अग्नि को लगाना चाहिये जिसके सहयोग से वे अपना भोजन बनाते है | सिंह जातक ने मानव योनी में महत्वपूर्ण सफलता पाने के लिये अपने जीजाजी, भाभी, जीवनसाथी की बड़ी बहन, बड़े भाई को उनकी राशि की सोने, चांदी अथवा पीतल की अंगूठी उन्हें उपहार में देना चाहिये |
धनु राशि की अमावस जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन सिंह जातक ने धनु राशि को आहुति देना चाहिये तथा धनु राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन सिंह जातक ने धनु राशि का अभिषेक करना चाहिये । अपने क्षेत्र में राशिधाम के निर्माण एवं विस्तार में अपना सहयोग देना चाहिये । जिससे उनके गाँव, शहर, राज्य एवं राष्ट्र में राशिधाम का निर्माण हो सके ताकि वहाँ के बुद्धीमान प्राणी राशिधाम में जाकर अपनी राशि के दर्शन कर सके ।
धनु राशि में सम्पूर्ण मूल नक्षत्र, सम्पूर्ण पूर्वाषाढा नक्षत्र एवं उत्तराषाढा नक्षत्र का पहला चरण आता है जिनके स्वामी केतू, शुक्र एवं सूर्य है।
१) मूल नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हें अपने उद्योगों में सफलता मूल नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगी | मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | इसलिये सिंह जातक ने अपने उद्योगों में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि की अंगूठी उपहार में देना चाहिये |
२) मूल नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हें अपने उद्योगों में सफलता मूल नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगी। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी तथा मित्रों पर है। इसलिये सिंह जातक ने अपने उद्योगों में मनमाफिक सफलता पाने के लिये, जीवनसाथी एवं मित्रों को उनकी राशि की अंगूठी उपहार में देना चाहिये ।
३) मूल नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हें अपने उद्योगों में सफलता मूल नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगी | बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है । बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन । इसलिये सिंह जातक ने अपने उद्योगों में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि की अंगूठी उपहार में देना चाहिये ।
४) मूल नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हें अपने उद्योगों में सफलता मूल नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगी। चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। माँ दो होती है। पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ | इसलिये सिंह जातक ने अपने उद्योगों में मनमाफिक सफलता पाने के लिये, जीवनसाथी की माँ को उनकी राशि की अंगूठी उपहार में देना चाहिये ।
५) पूर्वाषाढा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफालगुनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हें अपने उद्योगों में सफलता पूर्वाषाढा नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगी। सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है। पिता दो होते है। पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता | इसलिये सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने उद्योगों में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के पिता को उनकी राशि की अंगूठी उपहार में देना चाहिये ।
६) पूर्वाषाढा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हें अपने उद्योगों में सफलता पूर्वाषाढा नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगी | बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन | इसलिये सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने उद्योगों में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि की अंगूठी उपहार में देना चाहिये ।
७) पूर्वाषाढा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हे अपने उद्योगों में सफलता पूर्वाषाढा नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगी | शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी एवं मित्रों पर है। इसलिये सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने उद्योगों में मनमाफिक सफलता पाने के लिये, जीवनसाथी एवं मित्रों को उनकी राशि की अंगूठी उपहार में देना चाहिये |
८) पूर्वाषाढा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हें अपने उद्योगों में सफलता पूर्वाषाढा नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगी । मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | इसलिये सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने उद्योगों में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि की अंगूठी उपहार में देना चाहिये |
९) उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के पहले चरण का स्वमी गुरू है। जिस सिंह जातक का जन्म उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हें अपने उद्योगों में सफलता उत्तराषाढा नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगी | गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है | बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग । इसलिये सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने उद्योगों में मनमाफिक सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि की अंगूठी उपहार में देना चाहिये |
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)