ज्योतिष ज्ञान की गंगा में जन्म पत्रिका के नवाँ भाव को भाग्य स्थान कहते है। इसे छोटे भाई की पत्नी का स्थान, छोटे बहनोई का स्थान, जीवनसाथी के छोटे भाई एवं छोटी बहन का स्थान भी कहते है। इसे लाभ से लाभ मिलने का स्थान भी कहते है। इसे सन््मान मिलने का स्थान भी कहते है। इस प्रकार जन्म पत्रिका में नवम स्थान के हजाएं हजारों नाम है जो समय के परिवर्तन के साथ समय समय में उपयोग में लाये जाते है।
सिंह जातक के भाग्य स्थान की राशि मेष है। मेष राशि की निशानी भैड है तथा इसी परिवार की बकरी है। इसलिये सिंह जातक ने भाग्य का साथ पाने के लिये प्रतिदिन भैड या बकरी को रोटी अथवा चारा खिलाना चाहिये। मेष राशि का तत्व अग्नि है। इसलिये सिंह जातक ने भाग्य का साथ पाने के लिये उस अग्नि को प्रतिदिन दोनों समय भोग लगाना चाहिये जिस अग्नि से उनका भोजन बनाया गया है।
भाग्य का साथ पाने के लिये सिंह जातक ने अपने छोटे बहनोई, छोटे भाई की पत्नी, जीवनसाथी के छोटे भाई, छोटी बहन को राशिधाम की पवित्र घड़ी उपहार में देना चाहिये जिससे प्रतिदिन अपनी राशि के दर्शन कर सके।
सिंह जातक ने भाग्य का साथ पाने के लिये मेष राशि की अमावस जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन मेष राशि को आहुति देना चाहिये तथा मेष राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन मेष राशि का अभिषेक करना चाहिये। अपने क्षेत्र में राशिधाम के निर्माण एवं विस्तार में अपना सहयोग देना है चाहिये।
मेष राशि में सम्पूर्ण अश्विनी नक्षत्र, सम्पूर्ण भरणी नक्षत्र एवं कृत्तिका नक्षत्र का पहला चरण आता है, जिनके स्वामी केतू, शुक्र एवं सूर्य है।
1) अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हे अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा | मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई। सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में भाग्य का साथ पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को राशिधाम की पवित्र घड़ी उपहार में देना चाहिये ।
2) अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा | शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी एवं मित्रों पर है। सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में भाग्य का साथ पाने के लिये, जीवनसाथी एवं मित्रों को राशिधाम की पवित्र घड़ी उपहार में देना चाहिये ।
३) अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हे अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा । बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन | सिंह जातक ने अपने गुहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को राशिधाम की पवित्र घड़ी उपहार में देना चाहिये ।
४) अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। जिस सिंह जातक का जन्म मा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगा । चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। माँ दो होती है। पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ | सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की माँ को राशिधाप की पवित्र घड़ी उपहार में देना चाहिये |
५) भरणी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ भरणी नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगा। सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है | पिता दो होते है। पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता | सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के पिता को राशिधाम की पवित्र घड़ी उपहार में देना चाहिये |
६) भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे हे चरण में हुआ है उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा । बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है । बहन दो होती है । पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन | सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को राशिधाम की पवित्र घड़ी उपहार में देना चाहिये।
७) भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा | शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी एवं मित्रों पर है। सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ पाने के लिये, जीवनसाथी एवं मित्रों को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
८) भरणी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ भरणी नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा | मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये ।
९) कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। जिस सिंह जातक का जन्म उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अपने भाग्य का साथ कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा । गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग | सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने | भाग्य का साथ पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)