ज्योतिष ज्ञान गीता में जन्म पत्रिका के बारह वे स्थान को खर्च स्थान कहते है। इसे चाचा, छोटी बुआ, छोटी मामी, छोटे मावसाजी का स्थान भी कहते है। इसे भाग्य का सुख स्थान तथा खानदान से लाभ मिलनेवाला स्थान भी कहते है। इस प्रकार ज्योतिष ज्ञान की गहराई में जन्मपत्रिका के बारह वे स्थान के हजारों हजारों नाम है, जो समय के परिवर्तन के साथ समय पर उपयोग में आते है।
जिन्हें अपने मानव जीवन में अपने खर्चों को, अपनी आमदनी से कम रखना है, उन्होंने अपने परिवार के चाचा, छोटी बुआ, छोटी मामी, छोटे मावसाजी को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देना चाहिये |
सिंह जातक के खर्च स्थान की राशि कर्क आती है। कर्क राशि की दिशा उत्तर है। तथा तत्व जल है । इसलिये सिंह जातक ने अपने खर्चों पर नियंत्रण रखने के लिये अपने जन्मस्थान से उत्तर दिशा में प्राणियों के लिये पीने की पानी की व्यवस्था करवाने में अपना सहयोग देना चाहिये अथवा वहाँ पर राशिधाम के निर्माण में अपना सहयोग देना चाहिये।
कर्क राशि की अमावस जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन कर्क राशि को आहुति देना चाहिये तथा कर्क राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन कर्क राशि का अभिषेक करना चाहिये |
सिंह जातक के खर्च स्थान की राशि कर्क है, पुनर्वसु नक्षत्र का चौथ चरण, सम्पूर्ण पुष्य नक्षत्र सम्पूर्ण आश्लेषा नक्षत्र आते है | जिनके स्वामी गुरू, शनि एवं बुध है।
१) पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। जिस सिंह जातक का जन्म मा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उनका खर्च पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से विशेष होता है। चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। माँ दो होती है। पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ। सिंह जातक ने अपने खर्चों को आमदनी से कम बनाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की माँ को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देवे ।
२) पुष्य नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उनका खर्च पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण में सूर्य के सहयोग से विशेष होता है। सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है । सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है | पिता दो होते है । पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता | सिंह जातक ने अपने खर्चों को आमदनी से कम बनाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के पिता को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देवे |
३) पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उनका खर्च पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से विशेष होता है। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन । सिंह जातक ने अपने खर्चों को आमदनी से कम बनाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देवे ।
४) पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उनका खर्च पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से विशेष होता है । शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी तथा मित्रों पर है। सिंह जातक ने अपने खर्चों को आमदनी से कम करने के लिये अपने जीवनसाथी तथा मित्रों को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देवे ।
५) पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है । जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उनका खर्च पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से बढ़ता है। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | सिंह जातक ने अपने खर्चों को आमदनी से कम करने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देवे |
६) आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उनका खर्च आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से बढ़ता है। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग । सिंह जातक ने अपने खर्चों को आमदनी से कम करने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देवे।
७) आश्लेषा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उनका खर्च आश्लेष नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि के सहयोग से बढ़ता है। शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारियों पर है। कर्मचारी दो होते है। पहले अपने परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले | सिंह जातक ने अपना खर्च आमदनी से कम करने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार को कर्मचारियों को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देवे ।
८) आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है । जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उनका खर्च आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से बढ़ता है। शनि का नियंत्रण प्राणी के कर्मों पर है। परिवार में कर्मवादी प्राणी दो होते है। पहले अपने परिवार के कर्मवादी प्राणी तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी प्राणी । सिंह जातक ने अपना खर्च आमदनी से कम करने ले अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी सदस्यों को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देवे ।
९) आश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। जिस सिंह जातक का जन्म उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उनका खर्च आश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण में गुरू के सहयोग से बढ़ता है। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसर जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग । सिंह जातक ने अपना खर्च आमदनी से कम करने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देवे। ।
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)