ज्योतिष ज्ञान की पगडंडी में जन्म पत्रिका के आवठवे स्थान को मृत्यु स्थान कहते है। इसे ससुराल स्थान , विदेश यात्रा कहते का स्थान भी कहते है। इसे अपने कर्मों से अपने पिता से, अपनी सासु माँ से लाभ का स्थान भी कहते है। इसे बड़े पापा का, बड़ी बुआ का, बड़ी मामी का, बड़े फूफाजी का स्थान भी कहते है। इस प्रकार जन्म पत्रिका के आठवे स्थान के हजारों हजारों नाम है जो समय के परिवर्तन के साथ समय समय पर उपयोग में लाये जाते है ।
सिंह जातक का मृत्यु स्थान, जिसे ससुराल स्थान भी कहते है की राशि मीन आती है। मीन राशि की दिशा उत्तर है। तत्व जल है। स्वभाव द्विस्वभाव है एवं लिंग स्त्री है। परिणाम सिंह जातक को अपने गृहस्थ जीवन में उत्तर दिशा से, महिला पक्ष से, किसी कार्य में अचानक धनलाभ मिलता है। सिंह जातक ने समय समय पर लाभ मिलने के लिये अपने जन्म स्थान से उत्तर दिशा में प्राणियों के लिये पीने के पानी की व्यवस्था करवाने में अपना सहयोग देना चाहिये । अपने बड़े पापाजी, बड़ी बुआ, बड़ी मामी तथा बड़े मावसाजी को उनकी राशि की डायरी उपहार में देना चाहिये।
मीन राशि की अमावस जो साल में एक बार आती है शुभ दिन सिंह जातक ने मीन राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन सिंह जातक ने मीन राशि का अभिषेक करना चाहिये | अपने ससुराल के गाँव, शहर, राज्य अथवा राष्ट्र में राशिधाम के निर्माण एवं विस्तार में अपना सहयोग देना चाहिये। मीन राशि में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का चौथा चरण सम्पूर्ण उत्तराभाद्रपद नक्षत्र एवं सम्पूर्ण रेवती नक्षत्र आते जिनके स्वामी गुरू, शनि एवं बुध है।
1) पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उनको अचानक धनलाभ पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगा । चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। माँ दो होती है । पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ | सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की माँ को उनकी राशि की डायरी उपहार में देना चाहिये।
2) उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है। उन्हें अचानक धनलाभ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगा। सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है। पिता दो होते है। पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता | सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के पिता को उनकी राशि की डायरी उपहार में देना चाहिये ।
3) उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हें अचानक धनलाभ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगा | बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन | सिंह जातकअपने गृहस्थजीवन में अपनी कड़ी मेहनत से अचानक धनलाभ पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि की डायरी उपहार में देना चाहिये।
4) उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस सिंह जातक का जन्म मघा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी एवं मित्रों पर है। सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्मों का अचानक धनलाभ पाने के लिये, जीवनसाथी एवं मित्रों को उनकी राशि की डायरी उपहार में देना चाहिये।
5) उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा । मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई। सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि की डायरी उपहार में देना चाहिये
6) रेवती नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ रेवती नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा । गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है । बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग । सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि की डायरी उपहार में देना चाहिये।
7) रेवती नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है । जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ रेवती नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलता है। शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारियों पर है। कर्मचारी दो होते है। पहले अपने परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले | सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्मों से अचानक धनलाभ पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों को उनकी राशि की डायरी उपहार में देना चाहिये।
8) रेवती नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि हैं जिस सिंह जातक का जन्म पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ रेवती नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगा | शनि का नियंत्रण प्राणी के कर्मों पर है। परिवार में कर्मवादी प्राणी दो होते है। पहले अपने परिवार के कर्मवादी प्राणी तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी प्राणी | सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी प्राणियों को उनकी राशि की डायरी उपहार में देना चाहिये।
9) रेवती नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी ‘गुरू’ है। जिस सिंह जातक का जन्म उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हें अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ रेवती नक्षत्र के चौथे चरण में गुरू के सहयोग से मिलता है। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग सिंह जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अचानक धनलाभ पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि की डायरी उपहार में देना चाहिये।
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)