आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की।
जा की कृपा विपुल सुखकारी,दु:ख शोक, संकट, भयहारी॥
आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की।
शिरडी में अवतार रचाया,चमत्कार से तत्व दिखाया।
कितने भक्त चरण पर आये,वे सुख शान्ति चिरंतन पाये॥
आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की।
भाव धरै जो मन में जैसा,पावत अनुभव वो ही वैसा।
गुरु की उदी लगावे तन को,समाधान लाभत उस मन को॥
आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की।
साईं नाम सदा जो गावे,सो फल जग में शाश्वत पावे।
गुरुवासर करि पूजा-सेवा,उस पर कृपा करत गुरुदेवा॥
आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की।
राम, कृष्ण, हनुमान रुप में,दे दर्शन, जानत जो मन में।
विविध धर्म के सेवक आते,दर्शन कर इच्छित फल पाते॥
आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की।
जै बोलो साईं बाबा की,जै बोलो अवधूत गुरु की।
‘साईंदास’ आरती को गावै,घर में बसि सुख, मंगल पावे॥
आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की।