ज्योतिष ज्ञान में मिथुन राशि का नम्बर तीन है। मिथुन राशि वृषभ राशि के बाद एवं कर्क राशि के पहले रहती है। मिथुन राशि का क्षेत्र 60 ते 90 अंशो के मध्य आता है। मिथुन राशि की मनुष्य योनी में नर एवं मादा है। हमारा मानव योनी में पृथ्वी पर जन्म अपने माता-पिता से हुआ है, इसलिये घुमती हुई पृथ्वी के प्रत्येक बुद्धीमान प्राणी ने जिनका जन्म अपने माता-पिता से हुआ है, उन्होने हमेशा उनका आदर करना चाहिये|
घुमती हुई पृथ्वी पर आज लाखों ऐसे मानव अपने आप को संत,महात्मा,गुरू,ज्ञानी,साधु, माधवी,आदि बतलाकर अपना महत्व बढ़ाते रहे है उनसे पृथ्वी के बुद्धीमान प्राणी ने अपनी रक्षा करना चाहिये|ध्यान रहे ऐसे प्राणी जब अपने जन्म देनेवाले माता-पिता के नही हुये तो आपके हमारे क्या होगे ?
घुमती हुई पृथ्वी का जो भी मानव इनसे अपनी रक्षा कर सकेगा उसका गृहस्थ जीवन सुखी एवं सम्पन्न रहेगा।
मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम दो चरण,सम्पुर्ण आर्द्रा नक्षत्र एवं पुनर्वसु नक्षत्र के पहले तीन चरण आते है,जिनके स्वामी मंगल राहु एवं ‘गुरू’ है।
१) जिनका जन्म मिथुन राशि मे मृगशिरा नक्षत्र के तिसरे चरण में हुआ है,उनकी बुद्धी रहती है। मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी ‘शुक्र’ है। ऐसे जातक अपने मानव जीवन में उर्जावान वैभव को बढ़ाते है। अपनी बुद्धी की उर्जा से निर्गम करके,वैभवशाली कार्य करके अपनी अलग पहचान मानव जीवन में बना लेते है। इन्होंने अपने जीवनसाथी को उनकी राशि की पुस्तक उपहार में देना चाहिये।
२) जिनका जन्म मिथुन राशि में,मृगशिरा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है,उनकी बुद्धी उर्जावान एवं साहसी कार्य कने में हर पल तैय्यार रहती है|ऐसे प्राणी ने अपने मानव जीवन में सफलता पाने के लिये अपने भाई एवम् जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का पेन उपहार में देना चाहिये। मृगशिरा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है।
३) जिनका जन्म मिथुन राशि में आर्द्रा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उनकी बुद्धी में हमेशा ‘शक’ बना रहता है। आर्द्रा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी “गुरू’ है। इसलिये ऐसे जातक ने अपने मानव जीवन में सुख पाने के लिये,अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि की पुस्तक उपहार में देना चाहिये| गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है।
४) जिनका मिथुन जन्म राशि में आर्द्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उनकी बुद्धी में अपने कर्मों को लेकर “शक’ बना रहता है|उन्हें अपने कर्मों पर विश्वास नहीं रहता। आर्द्रा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी’शनि’ है। इसलिये अपने मानव जीवन में सफलता पाने के लिये, मिथुन जातक ने अपने एवं जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले कर्मचारियों को उनकी राशि का ताम्बे का पवित्र सिक्क उपहार में देना चाहिए। शनि का नियंत्रण कर्मचारियों पर है।
५) जिनका जन्म मिथुन राशि में,आर्द्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उनके मन में अपने कर्मों पर गुप्त शक बना रहता है| इसलिये वे किसी भी प्रकार के कार्य को करने में तुरंत निर्णय नहीं ले पाते है|अपने मानव जीवन में मनभावक सफलता पाने के लिये ऐसे जातक ने अपने तथा अपने जीवनसाथी के क्षेत्र के किसी भी अनजान मानव को कर्मवादी बनाकर कमानेलायक बनाने में अपना सहयोग देना चाहिये।
६) जिनका जन्म मिथुन राशि में आर्द्रा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है,उनके मन में बुजुर्गों के बाबत एवं संस्कारों के बाबत शक बना रहता है। आर्द्रा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। गुरू का नियंत्रण परिवार के बुजुर्गों पर एवं संस्कारों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दुसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग। इसलिए मिथुन जातक ने जिनका जन्म आर्द्रा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है,अपने मानव जीवन में सफलता पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को|उनकी राशि की पुस्तक उपहार में देवें|
७) जिनका जन्म मिथुन राशि में पुनर्वसु नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उनकी बुद्धी उर्जावान रहती है। वे अपनी बुद्धी से अपने मानव जीवन में मनभावक सम्पत्ति बनाते है। ध्यान रहे पुनर्वसु नक्षत्र के पहले चरणका स्वामी मंगल है। ऐसे जातक ने अपने मानव जीवन में मनभावक सम्पत्ति प्राप्त करने के लिये,अपने तथा अपने जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का पेन उपहार में देवे|मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है, भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई।
८) जिनका जन्म मिथुन राशि में पुनर्वसु नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उनकी बुद्धी वैभवशाली रहती हैं वे अपने जीवन में जो भी कार्य करते है उसमें वैभव लाते है। उस कार्य की सुन्दरता बढ़ाते है।पुनर्वसु नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी ‘शुक्र’है। इसलिये ऐसे मिथुन जातक ने जिनका जन्म पुनर्व॑सु नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उन्होंने जीवनसाथी को उनकी राशि की अंगुठी उपहार में देना चाहिये|
९) जिनका जन्म मिथुन राशि मे पुनर्वसु नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उनकी बुद्धी व्यवहारिक रहती है।ऐसे प्राणी अपने मानव जन्म में व्यवहार कुशल रहते है। मिथुन जातक ने जिनका जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है,उन्होंने मनभावक सफलता पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का लॉकेट उपहार में देना चाहिये। ध्यान रहे पुनर्वसु नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन |
सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)