ज्योतिष ज्ञान में मिथुन जातक के धन स्थान की राशि “कर्क आती है|जन्म पत्रिका में दूसरे स्थान को धनस्थान कहते है। इसे बड़े मामा,बड़ी मावसी,ताईजी तथा बड़े फूफाजी का स्थान भी कहते है | इसे परिवार से, अपने क्षेत्र से ससुरजी से मिलनेवाला लाभ स्थान भी कहते है।
कर्क राशि की दिशा उत्तर’है। इसलिये मिथुन जातक के पास धन उत्तर दिशा से आयेगा। धनबढ़ौतरी के लिये मिथुन जातक ने हमेशा अपने पर्स एवं केंश बॉक्स में अपने धन स्थान की राशि कर्क का ताम्बे, चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का रखना चाहिये। तथा अपने जीवन में आनेवाली कर्क राशि की अमावस एवं कर्क राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन कर्क राशि के पवित्र सिक्के का पूजन अपनी राशि मिथुन की अगरबत्ती अथवा मिथुन राशि का पवित्र इत्र लगाकर करना चाहिये। कर्क राशि का तत्व जल है। इसलिये मिथुन जातक के पास धन जलतत्व की वस्तुओं के उद्योगों से व्यापार से आयेगा। कर्क राशि स्त्री राशि है। इसलिये मिथुन जातक के पास धन महिला पक्ष से विशेष आयेगा। धन चन्द्रमा के शासन में आयेगा। कर्क राशि का स्वामी चन्द्रमा है।
कर्क राशि में पुनर्वसु नक्षत्र का अंतिम चरण,सम्पुर्ण पुष्य नक्षत्र एवं सम्पुर्ण आश्लेषा नक्षत्र है। जिनके स्वामी गुरू, शनि एवं बुध है।
कर्क राशि की अमावस हर वर्ष १५ जुलाई से १५ अगस्त के मध्य आती है। तथा कर्क राशि की पूनम हर साल १५ जनवरी से १४ फरवरी के मध्य आती है।
1) पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। जिनका जन्म मिथुन राशि में मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हें धन पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण में “चन्द्रमा’ के सहयोग से मिलेगा।मिथुन जातक ने मनचाहा धन पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की माँ को उनकी राशि का लॉकेट उपहार में देना चाहिये। चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है,तथा माँ दो होती है। पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दुसरी जीवनसाथी की माँ।
2) पुष्य नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी ‘सूर्य’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म मृगशिरा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है,उन्हें धन पुष्य नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगा। मिथुन जातक ने मनचाहा धन पाने के लिए अपने तथा जीवनसाथी के पिता को उनकी राशि का ताम्बे,चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिए।सुर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है तथा पिता दो होते है। पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता।
3) पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी “बुध’ हैं का मिथुन जातक का जन्म॑ आर्द्रा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हे धन पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण में “बुध’ के सहयोग से मिलेगा। मनचाहा धन पाने के लिये मिथुन जातक ने अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि की अंगुठी उपहार में देना चाहिये। ध्यान रहे परिवार में बुध का नियंत्रण बहन पर है, तथा बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन |
4) पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी ‘शुक्र’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हे धन पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण में ‘शुक्र’ के सहयोग से मिलेगा|मिथुन जातक ने अपने जीवन में मनचाहा धन पाने के लिये, जीवनसाथी को उनकी राशि का लॉकेट उपहार में देना चाहिये। ध्यान रहे ‘शुक्र’ का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है।
5)पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी ‘मंगल’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हें धन पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा|मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई। मिथुन जातक ने मनचाहा धन पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का ताम्बे,चांदी अथवा सोने का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये|
6) आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी ‘गुरू’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म आर्द्रा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे धन आश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण में ‘गुरू’ के सहयोग से मिलेगा। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग|मिथुन जातक ने मनचाहा धन पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के बुजुर्गों को उनकी राशि पुस्तक उपहार में देना चाहिये।
7) आश्लेषा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी ‘शनि’ है|जिस मिथुन जातक का जन्म,पुनर्वसु नक्षत्र के पहलेचरण में हुआ है,उन्हे धन,आश्लेषा नक्षत्र के दूसरे चरण में ‘शनि’ के सहयोग से मिलेगा।शनि का नियंत्रण परिवार में काम करनेवाले कर्मचारियों पर है। कर्मचारी दो होते है। पहले अपने परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले|मिथुन जातक ने मनचाहा धन पाने के लिए अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों को उनकी राशि का ताम्बे का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये।
8) आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी ‘शनि’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उन्हें धन आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगा। शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मवादी सदस्योंपर है|इसलिये मिथुन जातक ने मनचाहा धन पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों को उनकी राशि का लॉकेट उपहार में देना चाहिये।
9) आश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी “गुरू’ है। जिस मिथुन जातक का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हें धन आश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण में ‘गुरू’के सहयोग से मिलेगा|गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है।बुजुर्ग दो होते है।पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग। इसलिये मिथुन जातक ने मनचाहा धन पाने के लिये अपने स्वयं के तथा जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का पवित्र सिक्का उपहार में देना चाहिये।
सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)