जिनकी जन्म राशि मेष है मतलब जिनके जन्म के समय चन्द्रमा मेष राशि में है| उनकी जन्म राशि मेष है ऐसा ज्योतिषज्ञान में कहा एवं समझा गया है। मेष राशि का क्षेत्र शून्य से 30 अंशो के मध्य आता है| मेष राशि में सम्पुर्ण अश्विनी नक्षत्र,सम्पुर्ण भरणी नक्षत्र एवं कृत्तिका नक्षत्र का पहला चरण आता है। अश्विनी नक्षत्र का स्वामी केतू है| भरणी नक्षत्र का स्वामी शुक्र है| तथा कृत्तिका नक्षत्र का स्वामी सूर्य है।
अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है तथा अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण का क्षेत्र शून्य से 3.20 अंशो तक का है। जिनकी जन्म पत्रिका मे चन्द्रमा मेष राशि में उपरोक्त अंशो के मध्य है, उनमें गुप्त मानसिक उर्जा रहती है| जिससे वे अपने गृहस्थ जीवन मे कठिन से कठिन कार्य भी करने की हिम्मत रखते है।
अश्विनी नक्षत्र के दुसरे चरण का क्षेत्र 3.20 अंशे से 6.40 अंशो के मध्य का है| जिनकी जन्म पत्रिका में चन्द्रमा उपरोक्त अंशो के मध्य है उनमे गुप्त वैभव रहता है। वे अपने गृहस्थ जीवन में बेकार की वस्तुओं को उपयोगी वस्तुएँ बनाकर अच्छा लाभ कमा सकते है| तथा समाज में अपनी वैभवशाली पहचान बना सकते है। उनके गृहस्थ जीवन में हर क्षेत्र में वैभव बढ़ता रहता है।
अश्विन नक्षत्र के तिसरे चरण का क्षेत्र 6.40 अंशो से 10.00अंशो के मध्य का है। जिनकी जन्म पत्रिका में चन्द्रमा उपरोक्त अंशो के मध्य है , उनका गुप्त व्यवहार एवं व्यापार समय के परिवर्तन के साथ उन्हे नई सफलता एवं उँचाई देता है। अपने गुप्त व्यवहार एवं व्यापार से वे अपनी साख व्यापार जगत में बना लेते है।
अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण का क्षेत्र 10.00 अंशो से 13.20 अंशो के मध्य रहता है| जिनकी जन्म पत्रिका में चन्द्रमा उपरोक्त अंशो के मध्य है उनके मन में हमेशा गुप्त ‘डर’ बना रहता है| इस डर की वजह से कई बार वे गलत कार्य करने से बच जाते है| अपने गृहस्थ जीवन में शराब आदी का शौक भी कर लेते है।
भरणी नक्षत्र के पहले चरण का क्षेत्र 13.20 अंशो से 16.40 अंशो के मध्य का कहलाता है। जिनकी जन्म पत्रिका मे चन्द्रमा उपरोक्त अंशो के मध्य है| वे अपने गृहस्थ जीवन मे अपने क्षेत्र का वैभवशाली नेतृत्व करते है। उनकी मानसिक सोच हमेशा वैभवशाली नेतृत्व करने की रहती है तथा समय के परिवर्तन के साथ विधाता की इच्छा से उनकी मानसिक इच्छा पुरी होती है।
भरणी नक्षत्र के दुसरे चरण का क्षेत्र 16.40 अंशो से 20.00 अंशो के मध्य का रहता है| जिनकी जन्म पत्रिका मे चन्द्रमा उपरोक्त अंशो के मध्य है| वे अपने गृहस्थ जीवन मे वैभवशाली व्यवहार करते है| व्यापार में सुंदरता बढाते है। चर्चा भी वैभवशाली करते है। सुंदरता हर क्षेत्र में देखते है| घर में वैभवशाली सामान रखते विपरित लिंगी प्राणियाँ की सुंदरता व्यवहार में देखते है एवं अपनाते है।
भरणी नक्षत्र के तिसरे चरण का क्षेत्र 20.00 अंशो से 23.20 अंशो के मध्य का रहता है। जिनकी जन्म पत्रिका में चन्द्रमा उपरोक्त अंशो के मध्य है| वे अपने गृहस्थ जीवन में वैभवशाली न्याय करते है। अपने व्यापार में सुंदरता को बढ़ाते है| अपने जीवन साथी की सुंदरता को समझते है| तथा उन्हे मानसिक सहयोग देते है।
भरणी नक्षत्र के चौथे चरण का क्षेत्र 23.20 अंशो से 26.40 अंशो के मध्य रखते है। जिनकी जन्म पत्रिका मे चन्द्रमा उपरोक्त अंशो के मध्य है , उनकी उर्जा में वैभव रहता है। आपने शरीर की सुन्दरता बढ़ाने में ध्यान रखते हैं | घर में बैभवशाली वस्तुएं खरीदने में खर्च करते है।
कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण का क्षेत्र 26.40 अंशो से 30.00 अंशो के मध्य रहता है | जिनकी जन्म पत्निका में चन्द्रमा उपरोक्त अंशो के मध्य है वे अपने गृहस्थ जीवन में अपने क्षेत्र के सामाजिक, धार्मिक,पारिवारीक क्षेत्रों का नेतृत्व करते हैं| उनका मन हमेशा अनजान प्राणी को मदत करने का रहता है।
जिनकी जन्मशशि मेष है|उन्होंने अपने घर में पूर्व दिशा में मेष राशी की फोटो लगाकर प्रतिदिन नमन करे अथवा अपने घर, ऑफीस, दुकान में राशिधाम की घड़ी लगाकर प्रतिदिन नमन करे। अपने क्षेत्र के सामाजिक स्थानों में अपने जन्म दिन के समय, विवाह की वर्षगाँठ के समय, पूर्वजों की स्मृतिवाले दिन राशिधाम की घड़ी अपनी शक्ति एवं इच्छा क अनुसार उपहार में देवे ।
भेड-बकरी आदी को पालने में अपना सहयोग देवे। घर मे जो भोजन बन रहा है उस अग्नि को भोग लागाये| अपने एवं जीवन साथी के भाई से मधुर सम्बन्ध बनाने का प्रयास करे| गृहस्थ जीवन में नई के सफलाता मिलने लगी|
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)