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Mesh Rashi aur Jyotish – Saatvaa Sthan (Vivaah Sthan)

      जिनकी जन्म राशि मेष है, उनके विवाह स्थान की राशि तुला आती है। विवाह स्थान को नानी का स्थान तथा दादाजी का स्थान भी कहते है। तुला राशि का क्षेत्र 180 अंशो से 210 अंशो के मध्य का रहता है। तुला राशि मे चित्रा नक्षत्र का तीसरा एवं चौथा चरण, सम्पुर्ण स्वाती नक्षत्र तथा विशाखा नक्षत्र के पहले तीन चरण आते है।

      मेष जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये तुला राशि की अमावस जो साल में एक बार आती है वे शुभ दिन तुला राशि को आहुति देना चाहिए तथा तुला राशि की पुनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन तुला राशि का अभिषेक करना चाहिए।

     मनभावक सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये मेष जातक अपने आसपास के सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में राशिधाम की घडी उपहार में देना चाहिए तथा अपने घर में तथा आसपास के क्षेत्रों में सफेद रंग के फूलों के पौधे लगवाकर उनकी रक्षा करना चाहिये।

      मेष जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को बेदाग बनाने के लिये अपने जीवनसाथी का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिए अन्यथा उसकी प्रतिष्ठा की चमक कम होने लगेगी|खुद का अनुभव ही सच्चाई है।

१)    चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से बढ़ेगी। शुक्र नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है,इसलिये मेष जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये जाने अनजाने में अपने जीवनसाथी का अपमान नहीं करना चाहिए| अन्यथा उन्हे बदनाम होना पड़ेगा |

२)    चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है| इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से बढ़ेगी| मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है, पहला भाई स्वयं का भाई एवं दूसरा भाई जीवनसाथी का भाई| इसलिये मेष जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए अपने एवं जीवनसाथी के भाई का अपमान नहीं करना चाहिए |

३)    स्वाती नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा स्वाती नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से बढ़ेगी। गुरू का  नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर तथा संस्कारों पर है। इसलिये मेष जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अपने तथा जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का एवं उनके संस्कारों का आदर करना चाहिये। अन्यथा उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ने की बजाय घटने लगेगी। 

४)    स्वाती नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा स्वाती नक्षत्र के दुसरे चरण में शनि के सहयोग से बढ़ेगी । शनि का नियंत्रण परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी वर्ग पर है। कर्मचारी वर्ग दो होते है। पहले अपने स्वयं के यहाँ काम करनेवाले तथा दूसरे अपने जीवनसाथी के यहाँ काम करनेवाले | इसलिये मेष जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिय कर्मचारी वर्ग का अपमान नहीं करना चाहिए।

५)    स्वाती नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा स्वाती नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से बढ़ेगी| शनि का नियंत्रण प्राणियों के कर्मों पर है। इसलिये मेष जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए किसी भी अनजान प्राणी को कमा ने लायक बनाने में अपना सहयोग देना चाहिये। जिससे वह अपने कर्मों से कमाकर अपनी गृहस्थी चला सके|

६)    स्वाती नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा स्वाती नक्षत्र के चौथे चरण में गुरू के सहयोग से बढ़ेगी | गुरू का कै नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के तथा दूसरे जीवन साथी के परिवार के| इसलिये मेष जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए अपने गृहस्थ जीवन में अपने तथा अपने जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का, उनके संस्कारों का आदर करना चाहिए। अन्यथा उन्हें बदनामी का सामना करना होगा।

७)    विशाखा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है| इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा विशाखा नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से बढ़ेगी। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है, पहला स्वयं का तथा दूसरा जीवनसाथी का भाई। इसलिये मेष राशि के जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अपने तथा जीवनसाथी के भाई का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिये। अन्यथा उन्हें बदनामी का सामना करना पडेगा।

८)    विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से बढ़ेगी। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये मेष जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के अपने गृहस्थ जीवन में अपने जीवन साथी का अपमान नहीं करना चाहिए। अन्यथा  अपमानित जीवन जीने को मिलेगा।

९)    विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिये जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा, विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से बढ़ेगी। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली बहन स्वयं की बहन तथा दूसरी जीवनसाथी की बहन| इसलिये मेष जातक ने अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिये अपने मानव जन्म में अपनी तथा जीवनसाथी की बहन का अपमान जाने अन्‍्जाने में नहीं करना चाहिये ।

– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम) 

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