जिनकी जन्म राशि मेष है,उनके बुद्धी स्थान, जिसे सन््तान स्थान भी कहते है की राशि सिंह है। इसे पंचम स्थान भी कहते है। इसे भाभी स्थान तथा जीजाजी का स्थान भी कहते है। सिंह राशि का क्षेत्र 120 अंशो से 150 अंशो के मध्य आता है। सिंह राशि में सम्पुर्ण मघा नक्षत्र, सम्पुर्ण पुर्वा फाल्गुनी नक्षत्र एवं उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का पहला चरण रहता है| इसलिये मेष जातक का अपनी बुद्धी से किये गये कर्मों में सफलता उपरोक्त अंशो में आनेवाले क्षेत्रो से,सिंह राशि के प्राणियों से मिलेगी।
सिंह राशि का तत्व अग्नि है तथा दिशा पूर्व हैं। अपने जीवन में अपनी बुद्धी से सफलता पाने के लिये, अपनी संतान को पढ़ा लिखाकर कमाने लायक बनाने के लिये, मेष जातक ने हमेशा अपने परिवार तथा कार्यालय में राशिधाम की पवित्र घड़ी खरीदकर लगाना चाहिये। तथा उसे प्रतिदिन नहाने के बाद सच्चे मन से नमन करें|
मानव जीवन में आनेवाली सिंह राशि की अमावस को उन्होंने सिंह राशि को आहुति देना चाहिये| सिंह राशि की अमावस साल में एक बार आती है। सिंह राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन मेष जातक ने सिंह राशि का अभिषेक करना चाहिये। सिंह राशि की पूनम साल में एक बार आती है।
अमावस के समय सूर्य को चंद्रमा अपना सम्पुर्ण समर्पण करता है तथा पूनम के स्रमय चन्द्रमा पुर्ण रहता है, जिससे समुद्र मे ज्वारभाटा आता है। इसलिये अमावस को आहुति एवं पूनम को अभिषेक करना चाहिये।
१) मघा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है। जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हे अपनी पढ़ाई में तथा उद्योगों में सफलता मघा नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग सेमिलेगी| मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है, पहला भाई स्वयं का भाई तथा दूसरा भाई जीवनसाथी का भाई होता है| इसलिये मेष जातक ने अपनी पढ़ाई तथा उद्योगों में सफलता पाने के लिये जाने अनजाने में अपने तथा जीवन साथी के भाई का अपमान नहीं करना चाहिये|अन्यथा उन्हे अपने उद्योगों में कर्जदार ही रहना होगा।
२) मघा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हे अपनी पढ़ाई में तथा उद्योगों में सफलता मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगी। परिवार में शुक्र का नियंत्रण जीवन साथी पर है, इसलिये अपने उद्योगों में मनभावक सफलता पाने के लिये मेष जातक ने जाने अनजाने में अपने जीवनसाथी का अपमान नहीं करना चाहिये। अन्यथा उन्हे अपने गृहस्थ जीवन में पिढी दर पिढी कर्जदार ही बने रहना होगा।
३) मघा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हें अपनी पढ़ाई तथा उद्योगों में सफलता मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलती है। परिवार में बुध का नियंत्रण बहन पर है। बहन दो होती है पहली बहन खुद की बहन तथा दूसरी बहन जीवन साथी की बहन होती है। जो मेष जातक जाने अनजाने में अपनी बहन का अपमान करेगा उसे अपनी पढ़ाई में असफलता का सामना करना होगा तथा व्यापार एवं उद्योगों में कर्जदार बना रहेगा ।
४) मघा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे अपनी पढ़ाई तथा उद्योगों में सफलता मघा नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा का परिवार में नियंत्रण माँ पर है| माँ दो होती है, पहली माँ स्वय की तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ| इसलिये जिस मेष जातक को अपनी पढ़ाई में तथा उद्योगों में सफलता चाहिए| उन्होंने अपने मानव जीवन में अपनी तथा जीवन साथी की माँ का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिए अथवा उन्हें कई प्रकार की परेशानियाँ
का सामना करना होगा |
५) पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उन्हें अपनी पढ़ाई तथा उद्योगों में सफलता पूर्वा फाल्गुनी के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगी। सुर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है। पिता दो होते है,पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता| इसलिये मेष जातक ने अपने उद्योगों में सफलता पाने के लिये अपने मानव जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के पिता का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये।
६) पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हे अपनी पढ़ाई तथा उद्योगों में सफलता पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगी। मेष जातक ने अपने उद्योगों में सफलता पाने के लिए जाने अनजाने में,बहनों का अपमान नहीं करना चाहिए|ध्यान रहें परिवार में बुध का निमंत्रण बहन पर है तथा बहन दो होती है पहली स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन |
७) पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है,इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ उन्हें अपनी पढ़ाई तथा उद्योगों में सफलता पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगी|शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये मेष जातक ने अपने उद्योगों में सफलता पाने के लिये अपने मानव जीवन मे अपने जीवनसाथी का अपमान जाने अन््जाने में नहीं करना चाहिए। अन्यथा उन्हे अपने उद्योगों में कर्जदार बने रहना होगा|
८) पुर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के चौथेचरण मे हुआ है,उन्हे अपनी पढ़ाई तथा उद्योगों में सफलता पुर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगी| परिवार में मंगल का नियंत्रण भाई पर है तथा भाई दो होते है। पहला भाई स्वयं का तथा दूसरा भाई जीवनसाथी का भाई होता है| मेष जातक ने अपनी पढ़ाई तथा उद्योगों में सफलता पाने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के भाई का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिये अन्यथा उन्हें अपने उद्योगों में कर्जदार बने रहना पडेगा|
९) उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के पहलेहै. चरण में हुआ है उन्हें अपनी पढ़ाई तथा उद्योगों में सफलता उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगी। परिवार मे गुरू का नियंत्रण बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले स्वयं के जे परिवार के बुजुर्ग तथा दुसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग है। मेष जातक ने अपनी पढ़ाई तथा उद्योगों में सफलता पाने के लिये अपने मानव जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का अपमान नहीं करना चाहिये अन्यथा उसे कर्जदार ही रहना होगा |
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)