Mesh Rashi aur Jyotish- Chhtha Sthan ( Karj Sthan)

       जिनकी जन्म राशि मेष है,उनके कर्जस्थान की राशि कन्या आती है|कर्जस्थान को छोटे मामाजी का,छोटी मावसी का, चाची का, छोटे फूफाजी का स्थान भी कहते है। इसे रोग स्थान,शत्रु स्थान भी कहते है। इसे सन्‍्तान का धनस्थान भी कहते है। इसे बुद्धी का धनस्थान भी कहते है। कन्या राशि का क्षेत्र 150 अंशो से 180 अंशो के मध्य आता है। कन्या राशि में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र  का दूसरा, तीसरा एवं चौथा चरण, सम्पुर्ण हस्त नक्षत्र एवं चित्रा नक्षत्र के पहले दो चरण आते है।

  कन्या राशि द्विस्वभाव वाली राशि है तथा उसका तत्व पृथ्वी है। परिणाम मेष जातक को अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्मों के विस्तार के लिये कर्ज लेना पड़ता है तथा अपने पुर्वजों का कर्ज पटाना भी पडता है।

       मेष जातक ने अपने मानव जीवन में अपने कर्जों से मुक्ति पाने के लिये हमेशा अपने घर एवं कार्यालय राशिधाम की घड़ी खरीदकर लगाना चाहिये तथा उसे प्रतिदिन अपनी राशि मेष का पवित्र इत्र लगाकर सच्चे मन से नमन करे।

       कन्या राशि की अमावस जो साल में एकबार आती के दिन मेष जातक ने कन्या राशि को आहुति देना चाहिये तथा कन्या राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन मेष जातक ने अपने कर्ज स्थान की राशि कन्या का अभिषेक करना चाहिये| इससे मेष जातक को अपने वर्तमान कर्जों से तथा पिछले कई जन्मों के कर्जों से राहत एवं छुटकारा मिलने लगेगा।

       मेष जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में किसी भी अनजान कन्या का विवाह अपने खर्चों से करवाना चाहिये।

1)    उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि हैं इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उनका कर्ज उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि के सहयोग से कम होगा। जो मेष जातक अपना कर्ज खत्म करना चाहते है उसने अपने तथा जीवन साथी के परिवार के कर्मचारीयों का जाने अनजाने में अपमान नहीं करना चाहिये । अन्यथा उनका गृहस्थ जीवन अस्पताल, कोर्ट आदि के चककरों में चला जायेगा।

2)    उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उनका कर्ज उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से कम होगा । जो मेष जातक अपना कर्ज कम करके, खत्म करना चाहता है उसने अपने गृहस्थ जीवन में अनजान प्राणी को कर्मवादी बनाकर कमाने लायक बनाना चाहिये, जिससे वह अपना गृहस्थ जीवन सुचारू रूप से चला सकें अन्यथा मेष जातक को अपने मानव जीवन में कर्जदार ही बना रहना होगा।

3)    उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। इसलिए जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उनका कर्ज उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में गुरू के सहयोग से कम होगां गुरू. का नियंत्रण पौरेवार में बुजुर्गों पर है तथा संस्कारों पर है । परिवार में बुजुर्ग एवं संस्कार दो होते है एक अपने बुजुर्ग एवं संस्कार तथा दूसरे जीवन साथी के बुजुर्ग एवं उनके संस्कार|जो मेष जातक अपने कर्जों से मुक्त होना चाहता है उसने अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का एवं उनके संस्कारों का अपमान नहीं करना चाहिये। अन्यथा उन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी कर्जदार बने रहना होगा ।

4)    हस्त नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल हैं, जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उनका कर्ज हस्त नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से कम होकर समाप्त होगा। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहला भाई स्वयं का भाई तथा दूसरा भाई जीवनसाथी का भाई|जो मेष जातक अपने मानव जन्म में अपने कर्जों से मुक्त होना चाहता है,उसने अपने तथा जीवनसाथी के भाई का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिए। अन्यथा उन्हे मानव जन्म में कर्जदार ही बने रहना होगा।

5)    हस्त नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उनका कर्ज हस्त नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से कम होकर समाप्त होगा। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। जो मेष जातक अपने कर्जों से राहत चाहता है उसने अपने गृहस्थ जीवन में अपने जीवनसाथी का अपमान जाने अनजाने में न करे|

6)    हस्त नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिए जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उनका कर्ज हस्त नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से कम होकर समाप्त होगा|जो मेष जातक अपने कर्जों से राहत चाहता है उसने अपने गृहस्थ जीवन में अपनी तथा अपने जीवनसाथी की बहन का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिये,अन्यथा उन्हे पिढ़ी दर पिढ़ी कर्जदार बने ही रहना होगा।

7)    हस्त नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा हैं। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उनका कर्ज हस्त नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से कम होकर समाप्त हो सकता है। जो मेष जातक अपने कर्जो से राहत चाहता है उसने अपने गृहस्थ जीवन में अपनी तथा अपने जीवनसाथी की माँ का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिए। ध्यान रहे चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। माँ दो होती है। पहली स्वयं की एवं दूसरी जीवनसाथी की माँ।

८)    चित्रा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सुर्य है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है,उनका कर्ज चित्रा नक्षत्र के पहले चरण में, सूर्य के सहयोग से कम होकर समाप्त हो सकता है।जो मेष जातक अपने कर्जो से राहत चाहता है, उन्होंने अपने गृहस्थ जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के पिता का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिये। अन्यथा उन्हें कर्जदार ही रहना पड़ेगा।

९)    चित्रा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। इसलिये जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है,उनका कर्ज चित्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से कम होकर समाप्त हो सकता हैं उसके लिये उन्होंने अपने गृहस्थ जीवन में अपनी तथा जीवनसाथी की बहन का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिये| ध्यान रहे बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है तथा बहन दो होती है । पहली स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन।


– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
 (राशिधाम)



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