जिनकी जन्म राशि मेष है,उनके मृत्युस्थान की राशि वृश्चिक है। मृत्यु स्थान को ससुराल स्थान,जीवनसाथी के धन का स्थान, बड़े पापा का स्थान, बड़ी मामी का स्थान भी कहते है। इसे बड़ी बुआ का, बड़े मावसाजी का स्थान भी कहते है । इसे कर्मों से लाभ मिलने का स्थान, पिता एवं सासू माँ से लाभ मिलने का स्थान भी कहते है।
वृश्चिक राशि का क्षेत्र 210 अंशो से 240 अंशो के मध्य आता है। वृश्चिक राशि में विशाखा नक्षत्र का अंतिम चरण सम्पुर्ण अनुराधा नक्षत्र तथा सम्पुर्ण ज्येष्ठा नक्षत्र आता है।
मेष जातक ने अपने ससुराल से प्रेम सम्बध बढ़ाने के लिये, मानव शरीर में मृत्यु तक कर्मवादी बने रहने के लिये, उपरोक्त क्षेत्रों से लाभ पाने के लिये अपने जीवन में आनेवाली वृश्चिक अमावस जो साल में एक बार आती है शुभ दिन अपनी राशि के साथ वृश्चिक राशि को आहुति देना चाहिये तथा वृश्चिक राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन अपनी राशि के साथ वृश्चिक राशि का अभिषेक करना चाहिये।
याद रहे अमावस को आहुति तथा पूनम को अभिषेक का महत्व है।
- विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहल चरण में हुआ है, उन्हें अपने कर्मों से अचानक लाभ विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगा। चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है तथा माँ दो होती है। पहली स्वयं की तथा दूसरी माँ जीवनसाथी की। इसलिये जो मेष राशि का जातक अपनी तथा अपने जीवनसाथी की माँ का आदर बढ़ायेगा उसे अपने मानव जन्म में अपनी मेहनत का फल,अचानक लाश के रूप में मिलेगा। जो उनका अपमान करेगा,उन्हे अपने गृहस्थ जीवन में अचानक नुकसान का सामना करना होगा।
- अनुराधा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हे अपने कर्मों से अचानक लाभ अनुराधा नक्षत्र के पहले चरण में सुर्य के सहयोग से मिलेगा सुर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है। पिता दो होते है, पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता| इसलिये जो मेष जातक अपने कर्मों का लाभ चाहता है उसने अपने मानव जीवन में अपने पिता एवं जीवनसाथी के पिता का अपमान नहीं करना चाहिए अन्यथा उन्हें अचानक नुकसान का सामना करना होगा।
- अनुराधा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध हैं इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हें अपने कर्मों से अचानक लाभ अनुराधा नक्षत्र के दूसरे चरण में, बुध के सहयोग से मिलेगा। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है, एक अपनी स्वयं की और दूसरी जीवनसाथी की बहन| इसलिये जो मेष जातक अपने गृहस्थ जीवन में अपने बहन तथा जीवनसाथी के बहन का आदर बढ़ायेगा उन्हे अचानक धनलाभ मिलेगा अन्यथा उन्हे अचानक हानि होगी।
- अनुराधा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। इसलिये जिनका जन्म अश्विनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हें अपने कर्मों से अचानक लाभ अनुराधा नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगा| शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी पर है। इसलिये जो मेष राशि का जातक अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्मों से अचानक लाभ चाहता है, उसने अपने मानव जीवन में अपने जीवनसाथी का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिए अन्यथा उसे पीढ़ी दर पीढ़ी कर्जदार बने के रहना होगा |
- अनुराधा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हें अपने कर्मों से अचानक धनलाभ अनुराधा नक्षत्र के चौथे चरण में,मंगल के सहयोग से मिलेगा। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहला भाई अपना स्वयं का तथा दुसरा भाई जीवनसाथी का भाई । इसलिये घुमती हुई पृथ्वी का जो मेष जातक अपने कर्मों का अचानक धनलाभ लेना चाहता है, उसने अपने गृहस्थ जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के भाई का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिए अन्यथा उन्हें अचानक हानि होगी|
- ज्येष्ठा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है उन्हें अपने कर्मों से अचानक धनलाभ ज्येष्ठा नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर तथा संस्कारों पर रहता है। बुजुर्ग दो होते है। पहले स्वयं के परिवार वाले तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग । इसलिए मेष जातक ने अपने कर्मों का अचानक धनलाभ प्राप्त करने के लिए बुजुर्गों का एवं उनके संस्कारों का अपमान जाने अनजाने में नहीं करना चाहिए अन्यथा उन्हें कर्जदार बने रहना होगा|
- ज्येष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हे अपने कर्मों से अचानक धनलाभ ज्येष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण मे शनि के सहयोग से मिलेगा|शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारी वर्ग पर है। कर्मचारी दो होते है। एक अपने परिवार में काम करनेवाले दूसरे जीवन साथी के परिवार में काम करनेवाले| इसलिये मेष जातक ने अपने कर्मों से अचानक धनलाभ पाने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों का अपमान जाने अनजाने में न करे। अन्यथा उन्हे अचानक हानि का सामना करना होगा|
- ज्येष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि हैं इसलिये जिनका जन्म भरणी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उन्हे अपने कर्मों से अचानक धनलाभ, ज्येष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगा| शनि का नियंत्रण कर्मों पर है| इसलिये मेष जातक ने अपने कर्मों से अचानक धनलाभ पाने के लिये अपने गृहस्थ जीवन में अपने तथा जीवनसाथी के क्षेत्र के बेकार मानव को कर्मवादी बनाकर उसे कमाना सिखाना चाहिये। जिसमे वह अपनी गृहस्थी सुचारू रूप से चला सके।
- ज्येष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है, इसलिये जिनका जन्म कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हे अपने कर्मों से अचानक धन लाभ ज्येष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में, गुरू के सहयोग से मिलेगा| गुरू का निमंत्रण परिवार में, बुजुर्गों पर एवं संस्कारो पर है। इसलिये मेष जातक ने अपने कर्मों से अचानक धनलाभ पाने के लिये अपने तथा अपने जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का एवं उनके संस्कारों का अपमान जाने अनजाने में नही करना चाहिये। अन्यथा उन्हे अचानक हानि का सामना करना होगा |
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)