Kark Rashi aur Jyotish- chhtha Sthan ( Karj Sthan )

ज्योतिष ज्ञान की पगडंडी में जन्म पत्रिका में छठा स्थान को कर्ज स्थान, रोग स्थान, दुश्मन स्थान कहते है। इसे ससुराल से लाभ मिलने का स्थान भी कहते है। इसे छोटे मामाजी , छोटी मावसी , चाची तथा छोटे फूफाजी का स्थान भी कहते हैं इस प्रकार जन्म पत्रिका के छठवे स्थान के हजारों हजारों नाम है, जो समय के परिवर्तन के साथ समय समय पर उपयोग में आते है।

    कर्क जातक के कर्ज स्थान की राशि धनु आती है। धनु राशि की दिशा पूर्व है, अग्नि तत्ववाली पुरूष राशि है। इसलिये कर्क जातक को पुरूष वर्ग के क्रोधी स्वभाववाले लोगों से मतभेद का सामना करना पडता है | अग्नि तत्व के रोगों का जीवन में सामना करना पड़ता है। पुरूष राशि होने से कर्क जातक पर पूर्वजों का कर्ज भी रहता है।

    कर्क जातक ने अपने कर्ज से राहत पाने के लिये अपने छोटे मामाजी , छोटी मावसी , चाची तथा छोटे फूफाजी को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देना चाहिये । धनु राशि की अमावस जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन धनु राशि की आहुति देना चाहिये तथा धनु राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन धनु राशि का अभिषेक करना चाहिये।

    अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाने तथा अपने विरोधियों पर विजय पाने के लिये कर्क जातक ने अपने गाँव, क्षेत्र, वार्ड, शहर, राज्य तथा राष्ट्र में राशिधाम के निर्माण एवं विस्तार में अपना सहयोग देना चाहिये जिससे वहाँ के बुद्धिवान प्राणी उस क्षेत्र के राशिधाम में आकर अपनी अपनी राशि के दर्शन कर सके |धनु राशि में सम्पूर्ण मूल नक्षत्र, सम्पूर्ण पूर्वाषाढा नक्षत्र एवं उत्तराषाढा नक्षत्र का पहला चरण आता है जिसके स्वामी केतू, शुक्र एवं सूर्य है।

१) मूल नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है। जिस कर्क राशि के जातक का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उनका कर्ज मूल नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से कम होने लगेगा। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्जों से राहत पाने के लिये अपने जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देना चाहिये ।

२) मूल नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस कर्क राशि के जातक का जन्म पुष्य नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उनका कर्ज मूल नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से कम होने लगता है | शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी तथा मित्रों पर है। इसलिये कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्जों से राहत पाने के लिये, जीवनसाथी एवं मित्रों को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देना चाहिये।

३) मूल नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस कर्क जातक का जन्म पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उनका कर्ज मूल नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से कम होने लगता है। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है । बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन | इसलिये कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्जों से राहत पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति मंत्र उपहार में देना चाहिये ।

४) मूल नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चन्द्रमा है। जिस कर्क जातक का जन्म पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उनका कर्ज मूल नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से कम हो जायेगा । चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है | माँ दो होती है । पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ। इसलिये कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्जों से राहत पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की माँ को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देना चाहिये |

५) पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी सूर्य है। जिस कर्क जातक का जन्म पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उनका कर्ज पूर्वाषाढा नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से कम होने लगेगा सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है। पिता दो होते है। पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता । इसलिये कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्जों से राहत पाने के लिये अपने तथा जीवनसाथी के पिता को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देना चाहिये ।

६) पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी बुध है। जिस कर्क जातक का जन्म आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उनका कर्ज पूर्वाषाढा नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से कम होने लगेगा। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन | इसलिये कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्जों से राहत पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देना चाहिये |

७) पूर्वाषाढा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस कर्क जातक का जन्म आश्लेषा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उनका कर्ज पूर्वाषाढा नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से कम होने लगेगा। शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी एवं मित्रों पर है। इसलिये कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में अपने कर्जों से राहत पाने के लिये, जीवनसाथी एवं मित्रों को उनकी राशि का कर्ज  मुक्ति यंत्र उपहार में देना चाहिये ।

८) पूर्वाषाढा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। जिस कर्क जातक का जन्म आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उनका कर्ज पूर्वाषाढा नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से कम होने लगता है | मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है । पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | इसलिये कर्क जातक ने अपने कर्जों से राहत पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देना चाहिये ।

९) उत्तराषाढा पहले चरण का स्वामी गुरू है। जिस कर्क जातक का जन्म आश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उनका कर्ज उत्तराषाढा नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से कम होने लगेगा| गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर तथा उनके संस्कारों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग । इसलिये कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन अपने कर्जों से राहत पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि का कर्ज मुक्ति यंत्र उपहार में देवे |

– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)

Scroll to Top