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Kark Rashi aur Jyotish- Chautha Sthan (Sukh Sthan)

   ज्योतिष ज्ञान की पगडंडी में जन्म पत्रिका के चौथे स्थान को सुख स्थान कहते है इसे माँ का स्थान, ससुरजी का स्थान भी कहते है। इसे छोटे मामाजी, छोटी मावसी, चाची, छोटे फूफाजी से काम मिलने का स्थान भी कहते है। इसे छोटे भाई-बहन, जीवनसाथी के छोटे बहनोई, छोटे भाई की पत्नी का धन स्थान भी कहते है। इस प्रकार जन्म पत्रिका मे चौथे स्थान के हजारों नाम है जो समय के परिवर्तन के साथ समय समय उपयोग में आते है।

   कर्क जातक के सुख स्थान की राशि तुला है | तुला राशि पश्चिम दिशा की स्वामी है | वायु तत्ववाली  राशि है। कर्क जातक को सुख पश्चिम दिशा से पुरूषवर्ग से मिलेगा | कर्क जातक ने परिवारिक सुख पाने के लिये मनपसंद मकान एवं वाहन पाने के लिये अपनी माँ तथा ससुरजी को उनकी राशि का सोने, चांदी, ताम्बे, पीतल, स्टील आदि की रींग उपहार में देना चाहिये।

    तुला राशि की अमावस जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन कर्क जातक ने तुला राशि को आहुति देना चाहिये तथा तुला राशि की पूनम जो साल में एक बार आती है के शुभ दिन तुला राशि का अभिषेक करना चाहिये। मनपसंद सुख पाने के लिये कर्क जातक ने अपने क्षेत्र, गाँव, कस्बे, शहर, तहसील, जिले, राज्य तथा राष्ट्र में राशिधाम के निर्माण एवं विस्तार में अपना सहयोग मानव योनी में देना चाहिये तुला राशि में चित्रा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, सम्पूर्ण स्वाती नक्षत्र तथा विशाखा नक्षत्र के पहले तीन चरण आते है, जिनके स्वामी मंगल, राहु एवं गुरू है।चरण आते है, जिनके स्वामी मंगल, राहु एवं गुरू है।

1) चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस कर्क जातक का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है उनको सुख चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलता है।शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी तथा मित्रों पर है । कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनमाफिक सुख पाने के लिये, जीवनसाथी एवं मित्रों को उनकी राशि की रींग चाहे सोने,चांदी अथवा अन्य धातु में बनी हो उपहार में देवे।

2) चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है। जिस कर्क जातक का जन्म पुष्य नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उनको सुख चित्रा नक्षत्र के चौथे चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा| मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | कर्क  जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनमाफिक सुख पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि की रींग उपहार में देना चाहिये।

3) स्वाती नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी गुरू है। जिस कर्क जातक का जन्म पुष्य नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है,उनको सुख स्वाती नक्षत्र के पहले चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार है के बुजुर्ग। कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनमाफिक सुख पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि की रींग उपहार में देना चाहिये।

4) स्वाती नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। जिस कर्क जातक का जन्म पुष्य नक्षत्र के तीसरे चरण  में हुआ है, उनको सुख स्वाती नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगा । शनि का नियंत्रण परिवार में कर्मचारियों पर है । कर्मचारी दो होते है। पहले अपने परिवार में काम करनेवाले कर्मचारी एवं दुसरे जीवनसाथी के परिवार में काम करनेवाले | कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनमाफिक सुख पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मचारियों को उनकी  राशि की रींग उपहार में देना चाहिये।

5)स्वाती नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है । जिस कर्क जातक का जन्म पुष्य नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उनको सुख स्वाती नक्षत्र के तीसरे चरण में शनि के सहयोग से मिलेगा । शनि का नियंत्रण प्राणी के कर्मों पर है। कर्मवादी प्राणी दो होते है। पहले अपने परिवार के कर्मवादी प्राणी तथा दूसरे जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी प्राणी । कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन मे मनपसंद सुख पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के कर्मवादी सदस्यों को उनकी राशि की रींग उपहार में देना चाहिये।

6) स्वाती नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। जिस कर्क जातक का जन्म आश्लेषा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है उन्हे पारिवारीक सुख स्वाती नक्षत्र के चौथे चरण में गुरू के सहयोग से मिलेगा । गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है । बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग । कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनपसंद सुख पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों को उनकी राशि की रींग उपहार में देना चाहिए।

7) विशाखा नक्षत्र के पहले चरण का स्वामी मंगल है। जिस कर्क जातक का जन्म आश्लेषा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हे पारिवारिक सुख विशाखा नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगा। मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है। भाई दो होते है। पहले अपने स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई | कर्क जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनपसंद सुख पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को उनकी राशि की रींग उपहार में देना चाहिये।

8) विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शुक्र है। जिस कर्क जातक का जन्म आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है उन्हे पारिवारिक सुख विशाखा नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलता है।शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी तथा मित्रों पर है। कर्क जातक ने अपन जातक ने अपने गृहस्थ जीवन में मनपसंद सुख स पाने के लिये, जीवनसाथी तथा मित्रों को उनकी राशि की रींग उपहार में देना चाहिये।

9) विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी ‘बुध’ है। जिस कर्क जातक का जन्म आश्लेषा नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हें पारिवारिक सुख विशाखा नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलता है । बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी हैजी साथी की बहन। कर्क जातक ने अपने जीवन में मनपसंद सुख पाने के लिये अपनी तथा जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि  की रींग उपहार में देना चाहिये।

– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)

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