ज्योतिष ज्ञान की गीता में, कन्या राशि का नम्बर छठा है | जिनकी जन्म पत्रिका में छठवे नम्बर की राशि में चन्द्रमा लिखा हुआ रहता है, उनकी जन्मराशि कन्या है ऐसा ज्योतिष के विद्यार्थीयों ने समझना चाहिये |
कन्या राशि का क्षेत्र 150 अंशो से 180 अंशों के मध्य आता है । घुमती हुई पृथ्वी के उपरोक्त अंशों के तहत जो भी क्षेत्र, राज्य, गाँव, शहर, राष्ट्र आते है वे सब कन्या राशि के क्षेत्र में है। जिनकी जन्म राशि, वर्तमान नाम की राशि कन्या आती है अथवा जिनका जन्म लग्न कन्या है उन्होंने अपने मानव जीवन में मनमाफिक सफलता पाने के लिये प्रतिदिन अपने अण्डर गारमेन्ट स्वयं ही साफ करना चाहिये कारण कन्या राशि का तत्व पृथ्वी है। अपने घर की साफ सफाई, अपने आंगन की साफ सफाई, अपने घर एवं दुकान के सामने की सड़क की साफ सफाई स्वयं करें ।
कन्या जातक ने अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को उनकी राशि की पवित्र घड़ी उपहार में देना चाहिये | ध्यान रहे कन्या राशि का स्वामी बुध है। तथा बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है । पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन। अपने जन्मस्थान से दक्षिण दिशा में राशिधाम के निर्माण एवं विस्तार में अपना सहयोग देवे | कन्या राशि में उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के अंतीम तीन चरण, सम्पूर्ण हस्त नक्षत्र एवं चित्रा नक्षत्र के पहले दो चरण आते है, जिनके स्वामी सूर्य, चन्द्रमा तथा मंगल है ।
१) जिनका जन्म उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उनका मन हर पल किसी न किसी प्रकार के कार्य करने में लगा रहता है। कारण उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे चरण का स्वामी शनि है। शनि का नियंत्रण प्राणी के कर्मों पर है । ऐसे जातक ने अपने मानव जीवन में अपने घर की दक्षिण दिशा में फूलों के पौधे लगाकर उनकी रक्षा करना चाहिये | कारण शनि वायु तत्ववाला ग्रह है तथा वायु खुशबु से शुद्ध होती है।
२) जिस कन्या जातक का जन्म उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्होंने अपने मानव जीवन में अनजान प्राणी को कर्मवादी बनाकर उसे कमाने लायक बना देना चाहिये । ध्यान रहे उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शनि है। शनि प्राणियों को कर्मवादी बनाना चाहता है जिससे वे मेहनत से अपनी कमाई कर सके ।
३) जिस कन्या जातक का जन्म उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्होंने अपने गृहस्थ जीवन में अपने एवं जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्गों का आदर करना चाहिये | ध्यान रहे उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी गुरू है। गुरू का नियंत्रण परिवार में बुजुर्गों पर है। बुजुर्ग दो होते है। पहले अपने परिवार के बुजुर्ग एवं दूसरे जीवनसाथी के परिवार के बुजुर्ग | कन्या जातक ने उन्हे राशिधाम की पवित्र घड़ी उपहार में देना चाहिये।
४) जिस कन्या जातक का जन्म हस्त नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्होंने अपने मानव जीवन में मानसिक खुशी हस्त नक्षत्र के पहले चरण में मंगल के सहयोग से मिलेगी । मंगल का नियंत्रण परिवार में भाई पर है |भाई दो होते है। पहले स्वयं के भाई तथा दूसरे जीवनसाथी के भाई। इसलिये कन्या जातक ने अपनी मानसिक खुशी बढ़ाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के भाई को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
५) जिस कन्या जातक का जन्म हस्त नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हे अपने मानव जीवन में मानसिक खुशी हस्त नक्षत्र के दूसरे चरण में शुक्र के सहयोग से मिलेगी । शुक्र का नियंत्रण परिवार में जीवनसाथी एवं मित्रों पर है। इसलिये कन्या जातक ने अपने मानव जीवन में मानसिक खुशी पाने के लिये, जीवनसाथी एवं मित्रों को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये ।
६) जिस कन्या जातक का जन्म हस्त नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ है, उन्हें अपने मानव जीवन में मानसिक खुशी हस्त नक्षत्र के तीसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगी । बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है। पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन | कन्या जातक ने अपने मानव जीवन में मानसिक खुशी पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
७) जिस कन्या जातक का जन्म हस्त नक्षत्र के चौथे चरण में हुआ है, उन्हे मानव जीवन में मानसिक खुशी हस्त नक्षत्र के चौथे चरण में चन्द्रमा के सहयोग से मिलेगी । चन्द्रमा का नियंत्रण परिवार में माँ पर है। माँ दो होती है। पहली अपनी स्वयं की माँ तथा दूसरी जीवनसाथी की माँ | इसलिये कन्या जातक ने अपने मानव जीवन में मानसिक खुशी पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की माँ को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
८) जिस कन्या जातक का जन्म चित्रा नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है, उन्हें अपने मानव जीवन में मानसिक खुशी चित्रा नक्षत्र के पहले चरण में सूर्य के सहयोग से मिलेगी। सूर्य का नियंत्रण परिवार में पिता पर है ।पिता दो होते है। पहले स्वयं के पिता एवं दूसरे जीवनसाथी के पिता | इसलिये कन्या जातक ने अपने मानव जीवन में मानसिक खुशी पाने के लिये अपने एवं जीवनसाथी के पिता को राशिधाम की घड़ी उपहार में देना चाहिये।
९) जिस कन्या जातक का जन्म चित्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में हुआ है, उन्हें अपने मानव जीवन में मानसिक खुशी चित्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में बुध के सहयोग से मिलेगी। बुध का नियंत्रण परिवार में बहन पर है। बहन दो होती है । पहली अपनी स्वयं की बहन एवं दूसरी जीवनसाथी की बहन | इसलिये कन्या जातक ने अपने मानव जीवन में मानसिक खुशी पाने के लिये अपनी एवं जीवनसाथी की बहन को राशिधाम की पवित्र घड़ी उपहार में देवे ।
– सच्चाई के सेवा में
ज्योतिषसम्राट व्ही. तेलवाले
(राशिधाम)